दक्षिण एशिया के प्रति भारत की विदेश नीति | Indian Foreign policy To south Asia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वतन्त्रता के बाद पं० जवाहरलाल नेहरू के समय में भारत की विदेश नीति स्वतन्त्र दृष्टिकोण और गुटनिरपेक्षता की रही है। विश्व शान्ति को बनाए रखना, युद्ध की संभावनाओं को टालना, विवादों का मध्यस्थता या पच निर्णय द्वारा निपटारा करना, जातिभेद, रंगभेद और साम्राज्यवाद का विरोध करना तथा राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना विदेश नीति के लक्ष्य रहे हैं। नेहरू ने किसी तरह के क्षेत्रीय संगठनों के निर्माण तथा विस्तार करने में रुचि नहीं ली। विश्व के दो गुटों में बंट जाने से भारत ने किसी भी गुट के साथ रहने में रुचि नहीं ली तथा दोनों से (अमरीका, सोवियत संघ) समान दूरी बनाए रखा तथा गुटों से अलग गुट निरपेक्षता की नीति पर कायम रहा। प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने भी नेहरू की विदेश नीति का पालन करते हुए किसी प्रकार के क्षेत्रीय संगठन का समर्थन नहीं किया, किन्तु प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के कार्यकाल में (सन्‌ 1971) भारत-सोवियत मैत्री सन्धि की गई तथा इसके बाद क्षेत्रीय संगठनों की महत्वा को स्वीकार किया जाने लगा तथा इसी क्रम में सार्क जैसे संगठन कु । की स्थापना हुई। यह दक्षिण एशिया के सात पड़ोसी देशों की विश्व राजनीति में क्षेत्रीय सहयोग की पहली शुरुआत थी। दक्षिण एशिया के क्षेत्र की जनता के कल्याण एवं उनके जीवन स्तर के सुधार, सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि, क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना, आपसी विश्वास सूझ-बूझ तथा एक दूसरे की समस्याओं का मूल्यांकन करना, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी ओर वैज्ञानिक क्षेत्र में सक्रिय सहयोग एवं पारस्परिक सहयाता में वृद्धि करना, अन्य विकासशील देशों के साथ सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाना, सामान्य हित के मामलों पर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग मजबूत करना साक के प्रारम्भिक उद्देश्य घोषित किए गये। शोधार्थी ने इस शोध प्रबन्ध “दक्षिण एशिया के प्रति भारत की विदेश नीति (प्रधानमंत्री अटल ` बिहारी वाजपेयी के विशेष संदर्भ मेः ) के माध्यम से भारतीय विदेश नीति के विकास एवं क्रियान्वयन ` में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इन्दिरा गाँधी, राजीव गाँधी, पी०वी० ` नरसिंहाराव एवं अन्य प्रधानमन्त्रियों की विदेश नीति को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री अटल विहारी দু वाजपेयी की दक्षिण एशिया के देशों के प्रति विदेश नीति का विस्तृत अध्ययन किया गया है। प्रधानमंत्री 478 | की अपने पड़ोसियों (विशेषकर दक्षिण एशिया) के साथ सम्बन्धों को ক ্‌ नेपाल, भूटान, मालदीव के ` ५ वाजपेयी के पूर्वं प्रधानमन्त्रिय हुए उनके समय (1999-2004) में पाकिस्तान ছি र व बांग्लादेश, श्रीलंका य ल নুন ভি সহ এ বু = ~~ .-- ------- 3 - ৪ তি ~ ~= হী दः ऋ -> ~ ह কস ৯ সি উন, পি




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