अमर जीवन की ओर | Amar Jeevan Ki Or

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Amar Jeevan Ki Or by लिली एलेन - Lilly Alenशिवप्रसाद सिंह विश्वेन - Shivprasad Singh Vishven

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शिवप्रसाद सिंह विश्वेन - Shivprasad Singh Vishven

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ = +~ अदृश्य शक्ति পিপলস कह सकता दै, ष्टे भगवान, म विश्राम करनेकी इच्छसि शान्तिपूर्वक लेट गया हूँ कारण कि केवल आपही संसारके रक्षक हैं ।? परन्तु वह “केवल आपही? शब्दका आशय नहीं समझता | वह यह नही समझता कि उस अहृश्य शक्तिका यह दूसरा नाम है जो सूर्यकों दिनमें तेजवान बनाती है और रातको चन्द्रमासे अमृत वर्षा करवाती है , जिसके सकेत मात्रसे ऋतुओंका परिवर्तन होता है और वे एक क्षण भी कहीं देर नहीं कर सकतीं । मनुष्य इतना तो जानता हैं कि यदि उसे साँस लेनेके लिए. वायु न मिले तो गह एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता परन्तु वह कभी वायुके सम्बन्धमे विचार नदीं करता ¦ वद अनजाने उस शक्तिके आगे माथा কুক্ষা देता है जो विस्तृत गगन मडलमे सूयंका रथ सचालन करती है ; जो रातको उसी गगनमण्डलमे जगमगाते रत्नोंकों बखेर देती है औरे प्ृथ्वीको डगमग नहीं होने देती | जब बह इस प्रकार आत्मसमपंण कर. देता है तब उसका जीवन सब तरदसे परिपूर्ण हो जाता है । यदि मनुष्य पूर्ण विश्वासके साथ बिना एकक्षण सोचे विचारे अपने जीवनकी महान विभूतियोंको उस अदृश्य शक्तिके हाथोंम सौंप सकता है तो फिर वह रहने-सहने, काम करने और वार्तालाप करनेके समान साधारण कार्योको उससे क्‍यों पृथक-प्रथक रखना चाहता है ? ऐसा करने से तो यह प्रकट होता है कि वह अकेले दुनियासे निवान्त पथक है | मानो उसका प्रसन्नता, उसकी इच्छा, उसकी कामना और उसके जीवनसे उस आदि शक्तिका कोई सम्बन्ध ही नहीं है | ॥1




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