नेपोलियन बोनापार्ट भाग - 1 | Nepoliyan Bonapart Bhag - 1

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Nepoliyan Bonapart Bhag - 1  by हरिकृष्ण जौहर - Harikrishn Jauhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाल्थ और योवन। ५ र पे পা पडी यकेन शयी ज णि पि क शीतो আর ধা কি চাক এও प धि हो उन्होंने जो पहला कार्य्य किया, वह यह धा, कि घन हारा प्राम होनेवाले सुखके यावत्‌ उपादानोंसे अपनी साताको परिवेष्टित कर दिया । इसके उपरान्त वह जसे हो फान्स-सरकारके प्रधान पुरुष हुए; वेषे हो उन्होंने उत्साच-पूत्व क स्त्रो-शिक्षाके स्कूल प्रतिष्ठित किये और यह कहा, कि फ्रान्सको अपना नव-जोवन उन्नत करनेके लिये ओर किसो बातको उतनो आवश्यकता नहीं; जितनो आवश्यकता अच्छी माताओंको है। नपोलियनकौ माता अपने पतिको झत्युके उपरान्त अपने बाल- बच्चोंके साथ अपने ग्राम्य ग्टहमें रहने लगों। यह ग्टह एक एकान्त स्थानमें बना था। पुष्यित गुल्मादिको भाड़ियोंके किनारोंसे सुस- ज्जित और विशाल हन्लोको छततारो शाखाभों दारा ऊपरसे ढँका एक उद्यानपथ इस ग्टहके दारतक बना धा। इस ग्टहके सम्मुख एक विस्तृत समतल तथा प्रकाशमय ठगक्तेतर श्रपने लिये निदिष्ट सोभाग्यसे अनभिज्ञ इन बालकोंको इनको बाल्यकालोन क्रीड़ाओंके लिये अपनो ओर आक्कष्ट किया करता था। यह सब तितलियोंका पोछा किया करते धे; जल-परिपूण नन्दे नन्हे डवरोभे नङ्क पेर खेला करते थे और अपनो बाल्यसुलभ उछल-कूद करते हुए अपने विश्वासों कुत्तेको पोठपर बेठ इसतरह प्रसन्न होते थे; मानो उनके मस्तक राजमुकुटक्षे भारसे ्राक्रान्त हो कभो व्ययित होने होको न थे। टुब्बोघ लोलामयको क्या रहौ विचित्र लोला है! वद जिस समय कोरतसिका दोपमें भूमध्य-सागरके उच्ज्यल आकाशको प्रतिच्छायातले नेपोलियन- का परिवर््दन कर रहे थे , उसो समय दूर-अति दूरके वेष्ट इण्ड्रोज या अमेरिका ककट क्रान्तिके ज्वलन्त सूथ्के नोचे नारियलके हक्ष- कुच्चों और नारप़गेके ठक्तोंको प्रतिच्छायामें नेपोलियनको भावों पत्नो सुन्दरों और प्रेममयो जोजेफाइनकी देहका गठन और उनको ললী- बत्तिको सथ्थादान्वित कर रहे थे। जिस कत्तु ल्को इन दोनोंने आकांजा को न थो, वहो कत्त व इन दोनोको इनके अतोष




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