विनिमय , वितरण , मुद्रा, बैंकिंग, था अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के सिध्दान्त | Vinimay,vitaran,mudra,banking Tatha Antarashtriya Vyapar Ke Siddhant
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
73 MB
कुल पष्ठ :
313
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एस० एल० परमार - S.L. Parmar
No Information available about एस० एल० परमार - S.L. Parmar
पी० डी० हलेजा - P. D. Haleja
No Information available about पी० डी० हलेजा - P. D. Haleja
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूर्ण स्पर्धा में अर्ध-निर्धारण-स्मैतिक दशा है;
्सपूर्णतया ( (1१८२-०२1०१६९१) होता रहता है । हो सकता है कि उत्पत्ति में श्रम,
सज्भठन, पूँजी तथा योग्य जोखिम लगा हुआ हो किन्तु उत्पादन का परिसाण इन साधनों
की उत्पादन क्षमता से कम हो रहा हो । ऐसी श्रवस्था में इन साधनों की सात्रा बढ़ाकर
उनका बेहतर प्रयोग किया जा सकता है ! जब तक कि साधनों का असुपुर्णतया
प्रयोग होता है तब तक साधनों के बेहतर प्रयोग की संभावना रहती है। श्रतः स्पष्ट है
कि असुपुर्णतया प्रयोग में आा रहे साधनों के अधिकाधिक प्रयोग हारा उन साधनों का
बेहतर प्रयोग भी होगा। फलस्वरूप अतिरिक्त उत्पादन में भी वृद्धि होगी । अतिरिक्त _
उत्पादन को इस वृद्धि को ही वृद्धिमान प्रत्त्युप्लब्धि कहते है । इसलिए जब कभी भी साधनों (~
- का बरचपर्भयता प्रयोग होता ह तब देसे उत्पादन म নুজিলান সতরতলতিন सिलनो चाह ।
न का ्रनृकुलतम प्रयोग होता है तो समान प्रच्युप्लब्थि मिलती है। यहाँ:
अनुकूलतम प्रयोग से तात्पयें है को उत्पादन क्षमता का सवेशेषठ उपयोग । हास- _
मान तब मिलती है जब कि साधनों का प्रयोग ग्रनुकलतम জানাও
को भी लध जाता है । यह सहज ही विदित हो जायगा कि जब साधनों का च्रत्यधिक ~
प्रयोग होने लगता है है तो साधनों की प्रति श्रतिरिक्त इकाई का उत्पाउन घटने लगता है
ओर ऐसी दशा में हमें हासमान भत्त्युप्लब्धि प्राप्त होती है| श्रतः হল दिए हुए उत्पादन
के साधनों का श्रत्यधिक प्रयोग किया जाता ९ ° @समान সত -दीती है ।
अत्येक उत्पादक अपने उत्पादन को एक निम्त स्तर से धीरे-धीरे बड़ाता है। इस
अकार वह कुछ समय बाद बड़ी मात्रा में उत्पादन करने लगता है। चूँकि उत्पादक आरम्भ
में एक छोडे पेमाने में उत्पादन करता है श्रतः वह इस अवस्था में उत्पादन के साधनों का
५ (४ € ऊनं कष्ट 2 জি,
८ ११. ॥ ५/8 ০৪
7 समयन प्रस्युव्लन्यि ७७०
(সপ্ন ৯
रेखा चित्र ४
पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाता । ऐसी दशा में वह उतनी मात्रा में उत्पादन नहीं करबा जितनी
कि वह उन साधनों दारा कर सकता था। अतएव उत्पादन के साधनों का गसुपूर्ण प्रयोग
होता है। इस प्रकार किसी उत्पादक को उत्पादन कौ प्रारम्भिक भ्रवचस्थाश्य में बुद्धिमान
प्रत्युप्लब्धि होती है किन्तु जैसे ही साधनों का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग क्षिया जाती है अर्तिः
जब इन साधनों के और भी अंधिक बेहतर बनाने को सीमा नहीं रह जाती, वद्धिमान् `
এ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...