संकल्प - शक्ति प्रथम परिच्छेद | Sankalp - Shakti Pratham Paricched

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Sankalp - Shakti Pratham Paricched  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अदीन विचार १६ सदा उफीके समीप रहते ह, कितने अभिमानी दाना चद । पक श्रग्रेज कवि का कटना है किः- [)0081) 71071060010) 1115 710 00171500170 08179 36৮ 1)0%0৮ 09৮ 070 01010 पात 0081)0). . - श्रधात्‌:--चादे लिन्ता ओर आपत्ति फितनी भी आये वरन्‌ मनुप्य को दतोत्सादित कभी भी नर होना चाहिए | 'हीन और मलीन विचारों को अपने मास्तिप्क-में स्थान न दीजिये सदा पेसे ओजस्प्री पिचार अपने मास्तप्फ में रखिये कि जा उत्साह का चायुमएइल अपने चारों ओर उत्पन्न कर सके | अपने मित्र पेते टी चुनिये फ़ जे उक्त भकार फे विचार धारण कस्ते टां । यस, यदी लेकरुप-शक्ति का उन्नति का प्रथम सपान है ।




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