विधवा अप्रैल 1623 | Vidhwa April 1623
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43 MB
कुल पष्ठ :
689
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(1
संसार की सबसे बहुमूल्य वस्तु ।
शिक्षा प्रद् मनोहर ज्ञात्तीय कथा। स्त्री,
पुरुष ; बालक वृद्ध सब के लिए यहुत द्वी उत्तम
पुस्तक । मू° पक সালা ।
नै न +
रसाल वन |
{ ले° कययर 'गिरीश' ]
कैरवं हिन्द साहिहत्य सम्मेलन के समो-
पति श्री० पुरुषोत्तम दाल जी टंडन, एम० पए०
पलन्पल्ञ० बी० के शब्दों में “इस छोटी काव्य
बाटिका में जिसको रचयिता ने 'बन! का नाम
दिया है लालित्य और माधुयं टै बुआ
पर सामो के श्रत्याचार का मनोहर, उत्तम
ओऔर चित्ताकर्पक काव्य हैं| हिन्दा के प्रसिद्ध
प्रासद्ध पन्र तथा धिद्दान कवियों ने मुक्त कंठ से
इको भशं, দি ইলাহী महिलाओं के
लिए यह एक अज्नौकिक भेंट है, म्० (~) कुष्ठ
भी नहीं हे ।
साहित्य-विहार ।
[लेखक -सा दित्य म्मज्ञ श्री वियोगी हरि ॥]
पदि आपको साहित्य माधुरी का म ज्ञा জনা
हो, साहित्य-कानन मे विहार करः स्वर्गीय
মালচ্ का अलोकिक आनन्द अनुभव करना हो,
हिन्दी -साहित्य के उच्ध कोटि के मोलिक लेख
पढ़ने हो तो पशल्चिद्ध साथित्य-विशारद, हिन्दी
के उच्धकोटि के समालोचक भी वियोगी दरिजी
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की इस नत्रीन कृति को अपन मन में, हाथ में
तथा घर में स्थान दीजिए । दिनदों साहित्य में
वियोगी जी ही इस शेलो के आविष्कारक कहे
जा सकते हैं। इसे पढ़ कर आ्रपका मन मुग्ध
हुए बिना न रहेगा । हिन्दी अंग्ररेज़ी के प्रसिद्ध
पत्र, पश्चकाओं ने इसको मुक्कंठ से प्रशंघा की
है। सूल्य केघल 01)
[4 9८ ग्ट
कथा- का दम्बिनी
[ सम्पादक ० प्री? श्रजराज, एम० ए० बी* बस» सी०
दल» एल० ০]
यह खुप्रलिद्ध पत्रिका 'कथामुखी! में प्रका-
शिव ७ मनोहर गतप का संग्रह है । यह गदपें
प्राचीन पौराण्ठिक मागत कास्मरण कराती हैं।
आजकल की बष्ुत सी गर्प पुस्तकों के होसे
हुए भो आपको ছল नवीनता की निराली
छुटा मिलेगो। मूल्य ॥)
श्रीहूयोगिनी ( नाटिका )
लि०--सादित्य रक्त श्री० वियोगी हरि ।]
यह भक्ति रस की अपूर्व नाटिका है। भारतेन्दु
बाबू हरिश्चन्द्र को 'चन्द्रावलीः के हंग पर
ही इसकी रचना हुई है। हम आपको पूर्ण
विश्वास दिलाते है इसे पढ़ने से आपके हृदय
में प्रेम ओर भक्ति का चिर शान्त स्लोत अवश्य
उमड़ पड़ेगा । मू० ।}
(कि
~~ ~~~ -----न~----- +~“ --~--------~~--------*~---------~----~-^----- -- ~.
पुस्तक मिलने का पता +-व्यवस्थापिका चाँद का्योलय, इलाहाबाद ।
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