भारतीय प्रेमाख्यान काव्य | Bharatiya Premakhyan Kavya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6২) जातकों में बुद्ध के व्यक्तित्व की मद्दानवा दशाते हुए जन्मान्तरवाद की पुष्टि की गई हैं। इनमे मनुष्य और पश्ञ-पक्षियों से सम्बन्धित कहानियाँ मिलती हैं, जिनमे पश्चवर्ग मानवों से अधिक बुद्धिशाली और योग्य ठहस्ता हैं। इममें पश-पक्षियों के अतिरिक्त गंधर्व, किन्नर, सर्प आदि का भी योग उद्देदय पूर्ति के लिये कराया गया है। कहने का तात्पर्य यह है कि जातकों में आश्चर्य तत्व वी चहुलता मिलती है | 'अपदान! कहानियाँ जातकों फी तरह अतीत और वर्तमान जन्म से सम्बन्धित होती ई । जातक भीर अवदान कहानियों में अन्तर फेवछ इतना ही है कि जातक बुद्ध के जीवन से सम्पन्धित होते हैं और अपद्ान कहानियों में किसी 'अद्वंत” के जीवन की एक गाया निम्नाकिव रूप में मिलती है-- जय बुद्ध भावस्ती मे चास कर रहे थे तत्र आनन्द नित्य नगर में मिक्षादन के लिए तेथे} एक दिन उन्हे प्या लगी, बर्ण पर उन्होंने एक स्त्री फो पानो भरते देसा और उससे जल पीने की इच्छा प्रकट की] उसं खी ने अपने को चाडाल्नी बताया। छुआद्वूत का भेद किए बिना आनंद ने उसके द्वाय से जल अह्वण कर लिया | यद्द घाडालिनी बाढा “आनद? पर आसक्त हो गई । उपने घर पहुँच कर अपनी माता से सारा हाल कद्दा ओर यह मी बताया कि वह उस भिक्लु को ग्राप्त किए प्रिना जीवित नहीं रह सकती | चाडाल्नी की माँ अपनी पुत्री की प्राणरक्षा के लिए. आनन्द” को मंत्रन्‍छ से छछ कर अपने घर के आई | प्रकृति (चांटालिनी कन्या) ने बी प्रसन्नता से शस्या तैयार की और “आनन्द! को उस पर निठाया फिन्तु आत्मपतन के क्षणों के पूर्व ही वह रो पड़ा, इतने में घुद् वहाँ आ पहुँचे बुद्ध के आगमन के साथ घाडालिनी घा मंत्र बठ क्षीण हो गया और आनन्द खख होकर बुद्ध के साथ चल दिए | 'प्रकृति आनंद के पीछे घलने छगी- अन्त में बुद्ध ने प्रकृति को आनन्द? से विवाह करने की अनुमति इस शर्ते पर दे दी कि वह मिक्षुगी होफर अक्मचर्यमय जीवन व्यतीत करेगी | जप्न भावस्ती के ब्राह्मणों और नागरिकों ने इसे सुना तब वे बहुत कुड हुए और उन्होंने बुद्ध से इस अताधारण व्यवहार का कारण पूछा | बुद्ध ने बताया कि एक समय घाडाछ राज निशकु अपने पुत्र शादूलूकर्ण का विवाह पुष्कर्ण ब्राह्मण की पुनी से करना चाहता था विन्त॒ु ब्राह्मग ने उसे अस्वीकार कर दिया | इस कार्ण त्रिर्‌ सर धपुष्कणैः मे जातिध्रया पर गमीर হাজাধ ইলা । আঁন मे युप्परणं ने इस सम्बन्ध को खीकार कर लिया | पूर्व जन्म में प्रक्ृतति पुष्कर्ण की पुरी थी बुद्ध त्रिशंकु ये और शादूलऊर्ण आनन्द या |




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