इमाम-उल-हिन्द | Imaam Ul Hind

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Imaam Ul Hind by प्रो० मुजीब रिजवी - Prof. Mujeeb Rizviसैयदा सैय्यदैन हमीद - Saiyada Saiyyadain Hameed

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना ऐसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की रचनाओ का चयन करना अत्यन्त दुष्कर है जिनके लेखन ओर भाषण ने इतिहास की सरचना की हो । स्वतन्त्रता सग्राम मे मौलाना को एक केन्द्रीय स्थान प्राप्त था। उनके लेखन और भाषण जो अत्यन्त धारदार और सतुलित थे और उन्होने उस बधन को तोड डाला जो राष्ट्र को पराधीन बनाये हुए थे। अपने समकालीन बुद्धिजीवियो की तुलना मे मौलाना की रचनाए बहुत कम है। सख्या मे वे कम है किन्तु उनके लेखन मे ज्ञान, दूरदर्शिता ओर देश का सूम समन्वय दृष्टिगोचर होता है । कम मे कम शब्दो मे पूर्ण बात कहने मे मौलाना समर्थ है। वे सक्षेप मे अधिक से अधिक बाते कहने का गुण जानते थे। उनकी रचनाओं का चयन करते समय हमारे सम्मुख यह समस्या थी कि हम इनमे से क्या ले और क्‍या छोड | एक ओर हमे अपने अल्प ज्ञान का अभाव चिन्तित किये हुए था तो दूसरी आर यह बात व्याकुल किए हुए था कि इस महत्त्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह किस प्रकार उचित रूप से किया जाए। मौलाना की रचनाओ का एक ऐसा चयन प्रस्तुत करना जो लगभग २०० पृष्ठो का हो ओर वो भी इस प्रकार कि उसमे मौलाना की समस्त चओ का सार आ जाये, ऐसा ही था जैसे सागर को गागर मे समाहित करने का प्रयास | इस अवसर पर हमारा निर्देशन स्वय मौलाना के इन शब्दों मे हुआ कि “तुम्हारे पास एक ऐसी ज्वलत चिनगारी विद्यमान है किं यदि टीक से हवा दो तो हजारो अग्निकड प्रज्वलित हो सकते है । इसलिए हमने सोचा कि यही क्या केम है कि हम मौलाना की कठ चयनित रचनाओं का अनुवाद करके उनके विचारो को ससार भर में दूर-दूर तक पहुचाए। मौलाना के लेखन और भाषण के इस चयन कं स्वध में हम तीन बातो की चर्चा करना चाहते है। एक तो उन कठिनाइयो का जिनका मौलाना की रचनाओ की अग्रेजी और हिन्दी अनुवाद करते समय हमे सामना करना पडा। दूसरे इस बात पर प्रकाश डालना चाहते है कि हमने इस चयन मे सम्मिलित रचनाओ का ही क्यो चयन किया। तीसरे इन लेखो कं लेखक कं उस परिवेश का उल्लेख करना चाहते हैं जिसमे रह कर और प्रशिक्षित होकर वह इन रचनाओ की जन्म दे सकता है। मौलाना की रचनाओ को अग्रेजी मे रूपायित करना एक चुनौती था। उन लेखों के जो अनुवाद उपलब्ध है वे विशेषरूप से सैयद अब्दुल लतीफ और मुहम्मद मुजीब के अनुवादो को छाड कर त्रुटिपूर्ण हैं और आवश्यकता है कि इनमे सशोधन किया जाये। इसके अतर्गत काग्रेस कं अधिवेशनां मे दिए गए अभिभाषणो, साहित्यिक निबध, राजनैतिक लेख ओर धार्मिक अर्थपन भी आते है। अल-हिलाल” की उत्तेजक और पत्रकारिता के अनुसार लिखे गये लेखो --৫:১৫৫৫১২২ ্র্ট্্////১৮৮] | ) दूं अदब और मौलाना अबुल कलाम आजाद” शीर्षक से मह-अल-कादरी की पुस्तक, मौलाना अबुल कलाम आजाद, एक अध्ययमें सकलित लेख से उद्धृत।




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