साहित्यो प्रेमियों चोथा भाग | Sahityon Premiyon Chautha Bhag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३ परिचय ।
हि
डदाहरणमें सबसे पहले ठाकुर घरानेका ही नाम लिया जाता
हैं| रचीन्द्रनाथके विता स्वगोय मदर्ि देवेन्द्रगाथ ठाकुर थे भोर
पितामद स्थरगोंय द्वाएकानाथ ठाकुर। सारदा दैवी आपकी माता थीं
7 छाकुर-बंश विशाली ब्राह्मण समाजमों टी एकर शाना ६॥
इस धंशकों ठाकुर उपाधि अभी पांच ही छः पुश्तसे मिली है।
इस गंशके साथ बंगालके दुसरे ब्राह्मणोक्े समाजका खान^
पान यहुत पदके दं!से नहीं है। इस बंशके इतिदाससे मालूण
हुआ कि पहले इस बंशकी मर्यादा इतनी चढ़ी चढ़ी भ थी। घह
बहुत साधारण भी न धो । समाजञमे इसे पतित सपे जके
फारण इसमें क्रं नित करम यारी शकियोका उम्युत्थान হীলা লী
स्वाभाविक द्ी:था। ईश्वरफो इच्छा, कान्तिके मायोके कलाम
के लिये इस नेशकी शक्तिकों साथम भी यथेप्ट मिले और
खसपाहसे दृययर सुस्कानेके ददड़े देश और संसारमें उसने एक
লই स््फूर्ति फैछाई। धर्म, दर्शन, विचार, स्वातन्त्रय, सादित्य,
क्षगीत, कला सीर प्रायः समी विपयोमें ठाकुर धरनिकी इस समय
एफ खास सम्मति रद्दती है। संसारमें उसकी सम्प्रति आदुर-
योग्य समम्दी जाती है। सामाजिक वाधा फारण, बिला
यत-यात्रा, धर्म-संस्फार, सादित्व-संशेघव और सम्यताओे र
एक थंगपर शपनी एतियोंके चिन्द छोड़नेका इस घंशको एफ
যু झबसर মি রর
चघादफे समय इस घणनेमे दस पुरुषों-तकफे जो नाम अति
भेधेये दे :--
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