अथ दरदर छेत्र माहात्म्य | Ath Dardar Chhetra Mahaatmya

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Book Image : अथ दरदर छेत्र माहात्म्य  - Ath Dardar Chhetra Mahaatmya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रहे) कह টি अरू गुरू छापा कीण्ठे ग्रंथ नवीन ॥ ७६ ॥ सघ्णन च्कावि प्रगेन স্‌ दिन करों कर जेएरि । जप भून्मम से तद समपि वारे सेएरि ॥७७॥ जे। भुगुकेच मदोत्म बर पढ़े गनै বিন ভাধ। चारि पदारथ ताहि के करतलशोेद्रिसाय ৬০ परति संमत काटि হি लप रुचिर बजार । देख देंस के बनिक तित बैदत बस्त चजार ॥ ७८॥ ताके कह संकेप करि रनौ मति अनुमार প্রন অমনি জবান ৃ शिनकें। पिमल विचार ॥ ০০ | ধুয়া । आवे किति दीद यर नागर पिंधर कारविश के रदवैया । चोन केषचोन के वतु विर नेपा से आवत लोग जेगैया | ढाका से आयें चने नेषारे जे उत्तम मम के बेचपैया । दखिनो रोज चरथाय रंग के वेचन्‌ अवन देख मैया ए ८८॥ चद्नी हू बमात নেম सुखप्रोलकी बेस दजारन । घेर अरवब्यी विछ'यती फाबुछो धन्नो पादो छे छागे कतारन॥ অত জী घुट निनाएरं बंधे गीचि ने संग सप्त कत्य सवा- इम । पाकिम क पहरा चने ओर परे सब घाटरन घाट पणारन ॥ ८९ ॥ गंदृ/ হিজী सदिय( गदिपों महू ख्चर मे বম দি বহে । अज सेल अनेकन टेसन के श्चं হা लिए खड हं नय गागर ) খিক गेन विके দত্ত गाय हैं सुद सोगुन के पभ चअआगर । गुणराती বিদানী ই! ই- चि र छरोदन येते बृद्दि उजागर 1 स्ट सामा ष्द- कोर विक बच तोतिर णादा वटेर अतेकन से।है। तो बेस माषम्‌ चाय घने छठे खेशन कोर बपोलह सेहैं ॥ सेना ২৬১88485888 ।




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