हिंदी चित्रमय जगत | Hindi Chitramay Jagat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-चित्रमप-जगत्‌। ॐ १ হনে বর যা विह्लाना' का मन दकि मारतवपं क्षा यथार्थं एतिदास्त ন मिलने का मुरपक्ारणं यद ह कि यहां के पूर्ण निवासियों की इतिधास की ओर रूचि ही नही थी भीर थे राजाओं तपा महाराजाओं फा इतिदास लिपने फे घदले इस विश्व के निर्माणकर्ता के गुणाजुवाद्‌ गाना ही अपना कर्तत्य समभने যি 1 उनका आध्यात्मिक दिपय से ह अधिक संबंध घा भर ये इस संसार को श्रसार और म्यप्रवत्‌ समभर शसक माया मैँनदी फैंसना चाहने थे। उन पिद्दानों के उक्त घिचार कहां तक सत्य हैं, इसके प्रमाण में इस समय दम केवल इतना हो लिखना आवश्यक समभने दे कि इति- हास शब्द को जो परिभाषा उन्होंन को दे (क्योंकि उसीके उदा- शरण श्थरूप उनः लिखे पये पतिदाम दज श्राजकल समस्त भारलवधमे पदे श्राति द सौर जिनमें मारे नवयुवर्को फो कवल कद्ट्यो के नाम, उनकी विज्ञय तया उनक्रा घरनाकाल दी वृत लाया गया ९ ) उस असत्य और श्रमपूर्ण प्रमाणित कर दें। इग्लड के परमधिसप्यात दाशनिक प्रोफेसर दृक्छले (!00108501 10555) का कहता है कि “ इत्तिदात मानुणिक सभ्यता के आएे- भिक विकास या उच्नति की कहानी मात्र हैं” ( 1[15६079 15 प्रणकाणह 1700 धाणा ४ ०९क पेट8०यंए ६07 01६9० ०१ ०॑प॑।०घ् ० ৫1511758090 10110050070) 006015 25608৮ ০৫ घर ए7०१7९88 01 का ৫1531181000) হয পীকিলহ মধাহান | प की गुफाएं ৯১৫ ( लेखक--श्रीशालिगराम वम्मों ) विद्वान्‌ कह्ांतकक उदार और विचारशील हं ! आज इन्दीं विचारों को सामने रपकर इस अपने पाठकों फो भारत-गौरपय-दर्शक परम- विस्यात एुलोरा की गुफाओं की सैर कराना चाहते हैं। ईैदराबाद रियासत के उत्तरीय भाग में, औरंगावाद से १३ मील शीर दौलतावाद से ७ मील की दूरी पर, एक छोटी सी पहाड़ी के पास, प्राचीन हिन्टूशिलिएयों ने इस शुक्र को ४ थीं शताडहिद में बनाना प्रारंभ किया था | औरंगाबाद से तांगे में बैठकर यात्री लोग प्राय दो घेट़ों में रोज़ा नामक भ्राम में पहुंच जाते € | यद्ां से गुफाएं १५ मिनट के रास्ते पर ६ । बाॉँच की गुफा का नाम कैलाश ই, জী अपनी भनोदारिणी सुन्दरता के लिये संसारमर में विख्यात है। यात्रियों को इन गुफाशों फे देखने पैः लिये पिले दक्षिणयाली शफाः से देखना प्रारभ करना चाहिये, क्योकि ऐसा करने से ही उन्दे उस पनिदासिक रदस्य कों पता चलेगा, जिसके तियेय कन्द राथ प्रमधिस्यात ई । इन गुफाओं फे द्वारा भारतवर्ष के मुण्वत तीन घर्मी के इतिहास का बढ़ा ही मनोरशक दश्टान्त मिलता है । बौद्धमत से प्राह्मप्रधर्म- डारा किस प्रकार जैनमत का प्रचार चुआ, यही विषय इन तीनों गुफाओं फी चित्रकारों और मूर्तियों से प्रमाणित होता है। प्रत्येक के मतानुखार, धत्पेक गुझा के शिए्पक्तौशल में भी, विभिश्नत पा जाती ₹. 1 बदामी गुफाओशों में भी उक्ता तीन धर्म हो अलग र चित्रित € । एलीफेंटा गुफाशों में दीवधर्म प्रधान दे और सुधापिद एजंटा फी गुफाओं में घीद्धधर्म का हो गीरप प्रदशित है । पर, एनोरा की गुफाशों में तोनों धर्मों क दी सच्चे चित्र चिश्रित होने के ऋरण णलो का पूष्ण कर 1 इस पिप्य पर श्रपएने पकः दटयार्यान्‌ म उदि का व्यास्या, विकास {न्त कममनुसारष्पेणो रचकू दौर यषार षोयी किः उसमे उशम इर मपू प्यास्या भाज तर दिःोने नर 1 श्रापन क्हादिः “ समानता से पिभिश्रताम परिष्तंन दाना शो उदरनि बलान | ( ए7५६्८65 18 ११८ त05पद८ 09 ०१०८४ 1५ ४९१6६८८5. ) भरतपथय क्या शख प्यार्पां कः द्रलुष्रार बवल लिरिषद शुम्तकां कारो भाम इतिहास ९ १ कपा লোহা পালন दिल्परूछा क हारा इमारे दश क इतिटारा का शान सहों हो सता? क्या दस देश को सजोप हर्द्य, व्रवेशांसलमपन, मनप्मारना गुएपप, धर्माममिशनर-धपर्थे क मंदिर अर बौशुइसोत्याद 8 शिसालेरक हमारे इतिहार के सजोप भर प्रिर पृ লা ₹ ই হা হন को के ट्वारा को मानुयित्तर समब्दता के दिवारसर का पता ল্য ष इन प्रइनों क उरार सर क्षो धटतों का दिदित हो शादगाएर,ते ये कनाया शुका का पद्दिला मजिन 3 है उनकी झधिक विरोधता समझी जाती €। इन गुझाभों भा निर्मात अल शर्मोतझ टी छार नहीं पर पाया है, सपाते !€ाह७४६०४ सारद वग पुम्नर षौ नयोत आपूर्त से हम इतना उप्यत कर देगा परमावश्य 8॒ रममत रः- হজ घास विश्वकर्मा से सोन दाल चपपेत । ५००१५०६५ र्द, डशावताए, रायय को खाई चर हॉमेम्टर इल्दादि 1 $১০-৩৮৩ 6৬ द्विष , दृख्ाश । ७छ2०-६८०० ६० উন ০, इस्टसमा सदा शगध्शाएसमा 1 ८००-११०० ६० বহু কুল ध्पइ काम थो गूराधों बा दर्ाक्षम शतास्त মাছি में डेम को घेहा इग्ते €। ইন বারী হা লন ये रुगाएँ शो सुई €ै, दर शग्टराषरार €े। अज्स्टा गागाधों आओ करादेयाँ द्प्षा स्योषी हो र. वरन




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