बिन्दुयोग | Binduyog
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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No Information available about पं ज्वालाप्रसाद मिश्र - Pn. Jvalaprsad Mishr
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषाटीकासमेतः । (९१३४)
भव॒ति । तदा यक्ष्मरोगपित्तज्वरदद्यदाह
शिरोरोगजिद्दाजडभावा नश्यान्ति । भक्षि-
तमपि विपन्न वाधते । यद्यत्र मनः स्थिरं
भवात ॥
ताके मध्यमे चौक्षट दलबाला असते पूणे
एक कमल वह अधिक रोभासे युक्तदं अतिश्वेतदे
उसके मध्यमे लछालबणे कटिकासंत्तक णक करणिका
उसके मध्यमे भूमिं उसके मध्यमं भरगट चन्द्रकला
अमृतरूपहे उसके ध्यान करनेसे इस परुषके
समीप मृत्यु नहीं आती निरन्तर ध्यान करनेसे
अमृतधारा पडतीदे इससे वह सजीव रहताहे
उस समय यक्ष्मरोग हदयदाह पित्तज्वर शिरो
रोग तथा जिह्ा जडभावसे रहित होतीहे बह
यदि विषभक्षण करले तौभी इसको विषकी बाधा
नदीं होती, यदि इसमें मन स्थिर हों जाय तो
क्या कहनाहे | ,
इदानी ब्रह्मरन्भस्थानेऽषटमं शतदं चक्र
वत्तेते। त॒स्य केमलजात्यघरणीपीठ इति
संज्ञा । सिद्परुषस्य स्थानम् । तन्मध्येऽ-
भिधूमाकाररेखाथा दृश्याहरयेका पुरुषस्य
' मूत्तिवेत्तते। तस्यानादिनातो5$स्ति। तस्या
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