श्री भागवत दर्शन भागवती कथा भाग - 16 | Shri Bhagawat Darshan Bhagavati Katha Bhag - 16
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी - Shri Prabhudutt Brahmachari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यमदूतों का ओर विष्णु-पार्षदों का सम्बांद
€ হুড )
युयं वै धर्मराजस्य यदि निर्देशकारिणः
घ्र तथमस्य नस्तखं यचच धमेस्य लकणम् ॥
वेद्परणिदितो धमौ द्यधमस्तदुविपययः
वेदो नारायणः साक्ास्स्वयंभूरिति शुश्रुम ॥&
(श्रीभा ६ स्क० १९ श्र० ३८, ४० श्लो० )
(
सुनि नारायर् नाम विष्णु पार्षद तहं आये।
यमदूतनिकर पकरि मदात्तं मारि गिराये ॥
डरिक पूछे दूत--कौन हम हम भगाद्रो ।
मोल भाव जिनु किये तड़ातड मार लगाशथों ॥
घमेराज के दूत हम, पापीकूँ लैजात 1
फरघो न हम अपराध क्छु, कादे आपु फिस्पात हैं ॥
जप दो राजाओं के कमचारो मिलते है, तो जो बड़े राजा के
चली भोर प्रभावशाली क्म्त्चारी द्वोते हैं, ये छोटे मंडलीक राजा
भ्रीशुकदेवजी कहते हें--“राजन | विष्युदूतों ने यमदूतों से पूछा-
तेम शलोग यदि यथार्थं मे धमरन के निर्देश के अनुसार काय-
फरने बाले हो, तो हुम बताओ धमं किनि कहते हैं ? घर्म का तत्व क्या
है !” इस पर यमदूत बोले--'थजी, चेद में जो करंब्य वाया है वी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...