अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र | Antarrashtriy Arthashastra

Antarrashtriy Arthashastra by पी॰ सी॰ श्रीवास्तव - P. C. Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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চু परसि देयो का श्रित विका कुष्ठित हो गया । सष्ट है रि सम्प्र कौ নম ঘা हल करे हेतु सैद्धान्तिक विश्लेषण के साथ-साथ ऐतिहासिक নি 7रना भी जहरी है । यही कारण है कि प्रगते पर्याय मे हममे वरिकरवादियो के पचास का विवेषत ढिया है, क्योकि एसी के सुधार या प्रतिक्रिया के हुप में बाद रियो ते ग्रपने विचार प्रस्तुत किये। कुछ पुराने विचार तो गाज भी हमारे निर्शयों पर प्रभाव डाल रहे है। परीक्षा प्रल [१ अन्तर्राष्ट्रीय प्रथ॑ंशाल्ष के क्षेत्र का विवेचत कोजिये | | [00055 006 50006 0110150180012] 20010॥1% ] २ আনায় গ্সাঘিক स्रमस्याये क्या है? इनके समाधान के लिए कित॑ बुति गादी बातो को हृष्टिगत रखना ग्रादश्यक है ! [ভাতা আহ 0৫ 60৮ 10180800181 60010010 01001৫]5 10108 110060101 01121090 7 1181 26110 02310 [01015 जात 1908 10 06 00110৮6৫৫10) 01৫6 10 50116111693 00005 11]




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