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श्रेणी : इतिहास / History
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग्रेट ब्रिटेन में स्थानीय सरकार का विकास ११
ये कर लेने की शक्ति भी रखते थे। ये जनसंख्या के उन नये केन्द्रों के लिए
उपयोगी थ जो कि समय के साथ-साथ उदित हो रहे थे और जिनका
कोई नगर-पानिक्का संगठन या बॉरो स्तर नहीं था।
स्थानीय न्यायाधीजशों के श्रठारहवी शताब्दी के विभिन्न प्रकार के
कत्त व्यों को देखने के बाद इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता कि उन्हें
स्वेसर्वा कदा जाता है। शांति के न््यायाबीश काउन्दी के लार्ड लेफ्टीनेन्ट
द्वारा नामजद किये जाने पर लाई चान्सलर द्वारा नियुक्त किये जाते थे |
उनके कत्तव्य प्रणासकोय, न्यायिक एवं व्यवस्थापत सम्बन्धी শী
প্র | ये श्रवेतनिक कार्यकर्ता वर्ष में चार वार् त्रं -मासिक्त सों पर मिलते
शर । देहाती क्षेत्रों में उल्लेखनीय न्यायाधीश क्लर्जीमैन होता था । न्यायाधीशों
में स कुछ लोग सजग प्रशासक होते थे किन्तु इनमें से श्रधिकांश संकीण
मस्तिप्क वाले श्रकाय कुशल, कैथोलिक तथा ऐसे लोग होते थे जो कि कट्टर
प्रत्वीकारात्मक प्रकृति के होते थे । शहरी क्षेत्रों में कुछ न्यायाधीश
प्रकुगनल एवं श्रष्टाचारी होते हैं तथा न्याय का व्यापार करके
कमाते हैं ।
जब मजदूरों को उनकी भूमि से वंचित कर दिया गया और उनको
प्रसुविधाए देने के लिए विभिन्न व्यवस्थापन किये गये तों उनकी हालत
काफी हो गई । उनके घर और भूमि छुट गये । -केवल यही नहीं वरन्
उनकी जीविका के साधन भी श्रनिद्दितत हो गये । इनमें से अनेक ने श्रपने
घरवार प्रर गांव छोड तवा यहां से वहां पर्यटन किया । ऐसे लोगों के साथ
मिलकर जहरूरतमन्द भर प्रभावित व्यक्तियों मे भी समस्या को बदतर बना
दिया । जब हैनरी तृतीय के शासनकाल में गोनास्टियों को समाप्त कर दिया
गया, उपयुक्त एवं श्रनुपयुक्त सभी श्रमागे राष्ट के कथों पर भार वन गये ।
इस बुराई को फैलाने के लिए उत्तरदायी झ्ौर भी श्रनेक कारण थे । खराब
फसल एवं मुद्रा के भ्वमूल्यन ने खाद्य वस्तुग्रों के मूल्यों को वहुत बढ़ा दिया ।
ऐसी स्थिति में गरीबों को राहत देने के लिए उठाये जाने वाले कदम महत्व-
पूणं व गये । गरीवो के पर्यवेक्षकों द्वारा मूल्याँकन किये गये । इस प्रकार
जो कानून बनाये गये उन सवको मिलाया गया श्रौर गरीब-राहत श्रधि--
नियम ६६०१ (8806 43 हाद, 6 2-10८ ९०० [২6161 4১০%
1५01) द्वारा सशक्त बनाया गया । श्रठारहवीं शताब्दी के प्रारम्म तक
स्थानीय सरकार के विकास की गति अत्यन्त घीनी थी प्रौर वह मुख्य रूप
से गरीदों को राहत देने से सम्बन्धित थे। उसके वाद उद्योगों में एक
आश्यव जनक परिवर्त न श्राया जिसे कि श्रोद्योगिक क्रान्ति कहा जाता है !
प्रठारहवीं शताब्दी के प्रन्तिम तथा उद्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्मिक दिनों में
फंविटयो का तीव्र गतिसे विकासि हृग्रा मौर नये वड् क्स्वे वनने लगे 1
प्रौद्यागिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप स्थानीय सरकार के कार्य बढ़ गये ।
इसके अतिरिक्त बीमारियां फैल जाने से, वज्ञानिक ज्ञान का विकास हो
जाने से, भौर राजनतिक जीवन में परिवर्तत हो जाने से भी स्थानीय
सरकार के उत्तरदायित्वों में परिवर्त न झ्राये । कृपि प्रधान ग्रेट ब्रिटेन जब
एक महानि नौदयोगिक शक्ति ना तो प्रनेक नयी समस्याएं पैदा हो गई
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