कांग्रेस का इतिहास | Kangres Ka Itihas

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Kangres Ka Itihas by राजेन्द्र प्रसाद - Rajendra Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५) अन्तरात्मा के आदेश आदि सम्बन्धी स्वृतन्त्रता के मौछिक अधिकारों की धीषणा कर दी गई है। यह भी निर्दिष्ट कर दिया गया हैँ कि फल-कारखानों में काम करनेवालो के लिए काम की स्वास्थ्यप्रद परिस्थिति, काम के मर्यादित घण्टे, आपसी ऋंगडो के फैसले के लिए उपयुक्त सगठन और बुढाापे, वीमारी व बेकारी के आर्थिक सकटो से सरक्षण तथा मजदूर-सघ बनाने के उनके अधिकार को कायम रखने के रूप में उनके हितो का खयाल रक्‍्सखा जायगा | किसानो को इसने आश्वासन दिया है कि यह छगान-मालगुजारी में उपयुक्त कमी कराकर और अनुत्पादक जमीनो की कगान-माकगुजारी माफ केराकर तथा छोटी-छोटी जमीनो के मालिकों को उस कमी के कारण जो नृकसान होगा उसके हिसाव से उचित और न्याय्य छूट की सहायता देकर यह उनके खेती-सम्वन्धी भार को हऊुका करेगी। खेठी-बाडी से होनेवाली आमदनी पर, उसके एक उचित न्यूनतम परिमाण से ऊपर, इसने क्रमागत कर लगाने की भी व्यवस्था की है | साथ ही एक निश्चित रकम से अधिक आमदनी- बाली सम्पत्ति पर उत्तरोत्तर बढ़ता जानेवाऊा विरासत का कर छगाने, फौजी ब मुल्की शासन के खर्चे में भारी कमी करने और सरकारी कर्मचारियों की तनरुवाह ५००) महीने से ज्यादा न रखने के लिए कहा है। इसके अछावा एक जार्थिक और सामाजिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया है जिसमें विदेशी कपडे का वहिष्कार, देशी उद्योग-बन्धो का सरक्षण, झराव तथा अन्य नशीली चीजो का निषेव, वटे-वंडे उद्योगो पर सरकारी नियत्रण, काइतकारो का कर्जदारी से उद्धार, मुद्रा और विनिमय की नीति का देश के हित की दृष्टि से संचालन और राष्ट्र-रक्षा के लिए नागरिको को सैनिक शिक्षण देने का निदेश है! काग्रेस के अन्तिम अधिवेशन में, जोकि अक्तूधर १६३४ में वम्वई में हुआ था, कौंसिक-पवेश की नीति को स्वीकार कर लिया गया है और देश के सामने रचनात्मक कार्यक्रम रकखा गया है जिसमें हाथ की कताई-बुनाई को प्रोत्साहन एव पुनर्जीवनं देने, उपयोगी ग्रामीण तथा अन्यं छोटी दस्तकारियो ( गृह-उद्योगो } की उन्नति करने, आर्थिक, चिक्षणात्मक, सामाजिक एव स्वास्थ्य-विक्ञान की दृष्टि से श्रामीण-जीवन का पुनर्निमाण करे, अस्यृरयता का साक्ष करने, अन्तर्जातीय एकता की वृद्धि करने, सम्पूर्ण मद्य-निषेष, राष्ट्रीय-शिक्षा, वयस्क स्त्री-पुरुषो में उपयोगी ज्ञान का प्रसार करने, कछ-कारखानो में काम करनेवाले मजदूरो व खेती करनेवाले किसानो का संगठन करने और काग्रेस-सगठन को मजबूत बनाने की बातें भी है । काग्रेस-विधान का सशोबन करके, नये विधान में, प्रतिनिधियों की सख्याधटाकर




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