कांग्रेस का इतिहास | Kangres Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
752
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५)
अन्तरात्मा के आदेश आदि सम्बन्धी स्वृतन्त्रता के मौछिक अधिकारों की धीषणा
कर दी गई है। यह भी निर्दिष्ट कर दिया गया हैँ कि फल-कारखानों में काम
करनेवालो के लिए काम की स्वास्थ्यप्रद परिस्थिति, काम के मर्यादित घण्टे, आपसी
ऋंगडो के फैसले के लिए उपयुक्त सगठन और बुढाापे, वीमारी व बेकारी के आर्थिक
सकटो से सरक्षण तथा मजदूर-सघ बनाने के उनके अधिकार को कायम रखने के
रूप में उनके हितो का खयाल रक््सखा जायगा | किसानो को इसने आश्वासन दिया
है कि यह छगान-मालगुजारी में उपयुक्त कमी कराकर और अनुत्पादक जमीनो की
कगान-माकगुजारी माफ केराकर तथा छोटी-छोटी जमीनो के मालिकों को उस
कमी के कारण जो नृकसान होगा उसके हिसाव से उचित और न्याय्य छूट की
सहायता देकर यह उनके खेती-सम्वन्धी भार को हऊुका करेगी। खेठी-बाडी से
होनेवाली आमदनी पर, उसके एक उचित न्यूनतम परिमाण से ऊपर, इसने क्रमागत
कर लगाने की भी व्यवस्था की है | साथ ही एक निश्चित रकम से अधिक आमदनी-
बाली सम्पत्ति पर उत्तरोत्तर बढ़ता जानेवाऊा विरासत का कर छगाने, फौजी ब
मुल्की शासन के खर्चे में भारी कमी करने और सरकारी कर्मचारियों की तनरुवाह
५००) महीने से ज्यादा न रखने के लिए कहा है। इसके अछावा एक जार्थिक और
सामाजिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया है जिसमें विदेशी कपडे का वहिष्कार,
देशी उद्योग-बन्धो का सरक्षण, झराव तथा अन्य नशीली चीजो का निषेव, वटे-वंडे
उद्योगो पर सरकारी नियत्रण, काइतकारो का कर्जदारी से उद्धार, मुद्रा और विनिमय
की नीति का देश के हित की दृष्टि से संचालन और राष्ट्र-रक्षा के लिए नागरिको
को सैनिक शिक्षण देने का निदेश है!
काग्रेस के अन्तिम अधिवेशन में, जोकि अक्तूधर १६३४ में वम्वई में हुआ
था, कौंसिक-पवेश की नीति को स्वीकार कर लिया गया है और देश के सामने
रचनात्मक कार्यक्रम रकखा गया है जिसमें हाथ की कताई-बुनाई को प्रोत्साहन एव
पुनर्जीवनं देने, उपयोगी ग्रामीण तथा अन्यं छोटी दस्तकारियो ( गृह-उद्योगो } की
उन्नति करने, आर्थिक, चिक्षणात्मक, सामाजिक एव स्वास्थ्य-विक्ञान की दृष्टि से
श्रामीण-जीवन का पुनर्निमाण करे, अस्यृरयता का साक्ष करने, अन्तर्जातीय एकता
की वृद्धि करने, सम्पूर्ण मद्य-निषेष, राष्ट्रीय-शिक्षा, वयस्क स्त्री-पुरुषो में उपयोगी
ज्ञान का प्रसार करने, कछ-कारखानो में काम करनेवाले मजदूरो व खेती करनेवाले
किसानो का संगठन करने और काग्रेस-सगठन को मजबूत बनाने की बातें भी है ।
काग्रेस-विधान का सशोबन करके, नये विधान में, प्रतिनिधियों की सख्याधटाकर
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