त्रिवेणी | Treveni

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Treveni  by देवेन्द्र -Devendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जेनियां क देव, गुरु, शास्र तथा सम्यक्‌ दर्शन, सम्यक्‌ ज्ञान, सम्यक्‌ चारित्र । चित्रकूट की विकसित-वनस्थली कं सीता- राम-लक्ष्मण। ब्रज-रज-रंजक सधा, माधव, उद्धव । कृष्ण को क्रीडा-स्थली- मथुरा, गाकुल, बृन्दावन । प्रमदेव कृष्ण की प्यारी प्यारी भोज्य-सामग्री--मेवा, मिश्री, माखन । भगवान का तीन तृप्तिकर प्रेम- भाजन--विदुर के घर बासी शाक, सुदामा का तीन सुट्री तण्डुल, शबरी की जूठी मीठी बेर। तीथीं के सिरताज--अयाध्या, प्रयाग, काशी । भारतमाता के तीन 'राम!-- रामचन्द्र, परशुराम, बलराम । हिन्दुओं के ३




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