भूदान यज्ञ क्या और क्यों | Bhudan Yagya Kya Aur Kyo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यह विनोवा कौन हे ? ९
का आध्यात्मिक उत्तराविकारी कहा जाता हे। वहीं उत्तराधिकारी योग्य
उत्तराधिकारी होता है, जो अपने पूर्वजों से प्राप्त सम्पत्ति में वृद्धि करता है
और वही शिष्य योग्य जिप्य होता है, जो गुर को छोडकर भी चल सकता है।
इस अर्थ में विवोवा महात्मा गाघी के योग्य आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और
णिष्य हैं। वे आज के युग-पुरुष है । स्वाबीनता-प्राप्ति के बाद भारत में
रामराज्य या सर्वोदिय' की प्रतिप्ठापता महात्मा गावों का छक्ष्य था। किन्तु,
म्वावीनता-प्राप्ति के कुछ ही दिनो वाद वे इस ससार से चे गये । उनके
स्वप्न को पूरा कर सकने योग्य कोई महापुरुष उस समय दिखाई नही पडता था।
जतएब देग हताशा के अन्बकार से आच्छन्न हो गया था। विनोवा बहुत
दिनो से एकान्त-सावना में छीन थे । उस एकान्तवास को त्याग कर विनोबा
वाहर आये गीर कृ दिनो कै अन्दर ही उनक्री आलोक-छ्टा से दिक्-दिगन्त
उद्भासित हो उठा | कुछ ही दिनो के अन्दर देहके ग्राम-ग्राम, नगर-नगर में
एक नवीन जाग्रति आयी । आज सारा भारत आशाभरी दृष्टि से उनकी
ओर देख रहा है। इस समय सारा ससार शाति-पिपायु है। इसीलिए ससार के
अन्यान्य देग भी अतीव उत्कण्ठा के साथ उनके मुख से निकछी हुई गाति की
वामी सून रहे हं--टीक उसी प्रकार, जिस प्रकार प्यासा प्यास बुझाने के लिए
पानी ग्रहण करता हें। सन् १९४० ईसवी में श्री महादेव देसाई ने विनोवा के
सम्बन्ध मे छिखा था 'छोग आज नही, कुछ वर्ष वाद विनोवा का प्रभाव समझ
पायँगे ।” उनकी यह भविष्यवाणी सफल सिद्ध हुई हे।
महाराष्ट्र के ( वम्बई प्रदेरा-जन्तगंत ) कोटखावा जिला के गागोदा ग्राम
मे सन् १८९५ के ११ मितम्वर को ब्राह्मण-कुठ मे विनोवा का जन्म हुया
उनके पिता का नाम नरहरि भवे एव माता का नाम रुविमणी देवी अथवा
रखुमाई था। उनके पितामह ये उम्भुराव भावे । ।
विनोवा के पितामह शम्भुराव उदार, वर्म-परायण भौर तेजस्वी पुरुष
श्रें। उस समय भी वे छुआछुत नही मानते थे । साम्प्रदायिक्ता से वे दूर थे ।
किसीकी निन्दा की परवाह न कर एक वार उन्दने एक मुसलमान सगीत
को पाटे्वर मदिर मे ले जाकर भजन सुना था। वे चाद्द्रायण त्रत का पाटनं
करते धे! यह् वहुन कठिन ब्रत होता है । शम्भुराव के तीन पुत्र थे--
नरहरि, गोपाटराव गौर गोविन्द । डे पुत्र नरहरि बुद्धिमान् मौर महत्वा-
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