पुष्प विज्ञान | Pushp Vigyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)केसर
स० केशर, दि० केसर, অ০ स० केशर, गु० केसर, क०
कुंकुम, तै० कुंऊमपुश्नु, अ० जाफरान, फा० करकीमास, °
सेप़न--5217700 और लै० क्रोक्स साटिवस---2700 पह
32.1९6.
केसर का पौधा छोटा होता है । इसका कादा दो-दो तीन तीन
हाथ के फासले पर वोया जाता है । चोने के दो-तीन साहे वाद्
इसका पौधा उगता है, और तब उसमें फूल आते हैं। इसका फूल
तीन पंखुरियोंवाला होता दै। उसके भीतर पतले-पतले तंतु रहते
हैं । यही ततु-समृह केसर कद्दा जाता है । इसके फूल की पदुरियाँ
नीले रग की दोती है । यदि ततु-समूह लाल रंग का ओर लम्बा
हो तो उत्तम केसर समझना चाहिए । केसर तीन प्रकार की दोती
है। भिन्न-भिन्न देशों में उत्पन्न होते के कारण भिन्न-भिन्न रस और
गुणवाली होती है। यह काश्मीर, ईरान, बुखारा, नेपाल तथा योरप
के अनेक स्थानों में होती है। काश्मीर मे उत्पन्न होनेवाली केसर
के ततु बहुत ही छोटे-छोटे, वाल के समान पतले और रक्तिमायुक्त
होते हैं। इसमें से फसल के समान गंध निकलती है। यह सव
प्रकार की केसरों मे उत्तम है । बुखाराबाली केसर पीले रंग की
होती है । इसमें से केवक्ी-जेसी सुगन््ध निकलती है । इसके भी तंतु
सूक्ष्म ही होते हैँ । यह् मध्यम श्रेणी की केसर मानी जाती है ।
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