पुष्प विज्ञान | Pushp Vigyan

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Pushp Vigyan by हनुमानप्रसाद शर्मा - Hanuman Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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केसर स० केशर, दि० केसर, অ০ स० केशर, गु० केसर, क० कुंकुम, तै० कुंऊमपुश्नु, अ० जाफरान, फा० करकीमास, ° सेप़न--5217700 और लै० क्रोक्स साटिवस---2700 पह 32.1९6. केसर का पौधा छोटा होता है । इसका कादा दो-दो तीन तीन हाथ के फासले पर वोया जाता है । चोने के दो-तीन साहे वाद्‌ इसका पौधा उगता है, और तब उसमें फूल आते हैं। इसका फूल तीन पंखुरियोंवाला होता दै। उसके भीतर पतले-पतले तंतु रहते हैं । यही ततु-समृह केसर कद्दा जाता है । इसके फूल की पदुरियाँ नीले रग की दोती है । यदि ततु-समूह लाल रंग का ओर लम्बा हो तो उत्तम केसर समझना चाहिए । केसर तीन प्रकार की दोती है। भिन्न-भिन्न देशों में उत्पन्न होते के कारण भिन्न-भिन्न रस और गुणवाली होती है। यह काश्मीर, ईरान, बुखारा, नेपाल तथा योरप के अनेक स्थानों में होती है। काश्मीर मे उत्पन्न होनेवाली केसर के ततु बहुत ही छोटे-छोटे, वाल के समान पतले और रक्तिमायुक्त होते हैं। इसमें से फसल के समान गंध निकलती है। यह सव प्रकार की केसरों मे उत्तम है । बुखाराबाली केसर पीले रंग की होती है । इसमें से केवक्ी-जेसी सुगन्‍्ध निकलती है । इसके भी तंतु सूक्ष्म ही होते हैँ । यह्‌ मध्यम श्रेणी की केसर मानी जाती है ।




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