नेत्र चिकित्सा | Netra-chikitsa

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Netra-chikitsa by डॉ के. एम्. अग्रवाल - Dr. K. M. Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द फिर चश्मा लगा कर । इसके बाद पास की दृष्टि की जाँच के लिये पढ़नेवाले चाट पर पहले बिना चश्मे के और फिर चश्मा लगाकर पढ़ाकर जाँच करनी चाहिए । चिकित्सा के बीच-बीच में इस प्रकार की जाँच कई बार करके नोट कर लेना चाहिए, क्योंकि इससे यह पता चलता रहता है कि कितना सुधार हो रहा है । कुछ दशाओं में सुधार इतना धीमा अर अनज्ञातरूप से होता है कि रोगी को इसकी प्रतीति नहीं होती--घतब उसे प्रगति के नोट किये परिणाम दिखाये जा सकते हैं, जिससे उसे सुधार का विश्वास हो । इसके बाद नेत्रों की परीक्षा नेत्र-परीक्षा यंत्र ( 000108100050006 ) से और फिर चित्र-पत्र परीक्षा-यंत्र (९८६घ110500 06) से करनी चाहिए । नेत्र-परीक्षा-यंत्र की झावश्यकता इसलिये है कि उससे मोतिया- बिंदु, कनीनिका के देव, तथा नेत्र-गोलक के भीतर की बीमा- रियों का पता चल जाता है । रेटिनास्कोप का प्रयोग पास की दृष्टि: दूर की दृष्टि एस्टिगमेटिज्स (&51्टएणण818101) आदि का पता लगाने के लिये किया जाता है । दूर की दृष्टि की परीक्षा . दृष्टि जाँच करने के चाट को आँख से २० फ्रीट की दूरी पर रखिये । एक आँख को हथेली से बंद करके इस प्रकार जिसमें नेत्रगोलक पर दबाव न पड़े, दूसरी आँख से चाट को पढ़िये । फिर इसी प्रकार बदलकर दूसरी आँख से | दृष्टि सिन्न में लिखी जाती है, जिसमें कि अंश तो पढ़नेवाले की चाट से दूरी बताता है. और उसका हर पढ़ी जानेवाली पंक्ति के ऊपर लिखी संख्या को । यदि दृष्टि ठीक है; तो दृष्टि यह होगी; २०/२० या ६ ६। इसे दूर दृष्टि २०२० (0, ४. 20120 )




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