नेत्र चिकित्सा | Netra-chikitsa
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26.13 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द
फिर चश्मा लगा कर । इसके बाद पास की दृष्टि की जाँच के
लिये पढ़नेवाले चाट पर पहले बिना चश्मे के और फिर
चश्मा लगाकर पढ़ाकर जाँच करनी चाहिए । चिकित्सा के
बीच-बीच में इस प्रकार की जाँच कई बार करके नोट कर
लेना चाहिए, क्योंकि इससे यह पता चलता रहता है कि
कितना सुधार हो रहा है । कुछ दशाओं में सुधार इतना धीमा
अर अनज्ञातरूप से होता है कि रोगी को इसकी प्रतीति नहीं
होती--घतब उसे प्रगति के नोट किये परिणाम दिखाये जा
सकते हैं, जिससे उसे सुधार का विश्वास हो । इसके बाद नेत्रों
की परीक्षा नेत्र-परीक्षा यंत्र ( 000108100050006 ) से और
फिर चित्र-पत्र परीक्षा-यंत्र (९८६घ110500 06) से करनी चाहिए ।
नेत्र-परीक्षा-यंत्र की झावश्यकता इसलिये है कि उससे मोतिया-
बिंदु, कनीनिका के देव, तथा नेत्र-गोलक के भीतर की बीमा-
रियों का पता चल जाता है । रेटिनास्कोप का प्रयोग पास की
दृष्टि: दूर की दृष्टि एस्टिगमेटिज्स (&51्टएणण818101) आदि
का पता लगाने के लिये किया जाता है ।
दूर की दृष्टि की परीक्षा
. दृष्टि जाँच करने के चाट को आँख से २० फ्रीट की दूरी पर
रखिये । एक आँख को हथेली से बंद करके इस प्रकार जिसमें
नेत्रगोलक पर दबाव न पड़े, दूसरी आँख से चाट को पढ़िये ।
फिर इसी प्रकार बदलकर दूसरी आँख से | दृष्टि सिन्न में
लिखी जाती है, जिसमें कि अंश तो पढ़नेवाले की चाट से
दूरी बताता है. और उसका हर पढ़ी जानेवाली पंक्ति के ऊपर
लिखी संख्या को । यदि दृष्टि ठीक है; तो दृष्टि यह होगी;
२०/२० या ६ ६। इसे दूर दृष्टि २०२० (0, ४. 20120 )
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