आओ दूरबीन देखें | Aao Doorbeen Dekhe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूर्य और चंद्रमा किस चीज़ से बने हैं?
अभी कुछ साल पहले ही लोग अतरिक्ष उड़ाने
भरने लगे हैं। १६६१ में यूरी गयारिन ने सबसे पहले
अतरिक्ष उडान भरी। तवे से अव तक विभिन्न देशो के
कुल एक सौ से कुछ अधिक अतरिक्षनाविकों ने उडाने
भरी हैं।
लेकिन भनुप्य को ऐसी खतरनाक यात्रा पर भेजने
से पहले अतरिक्ष के बारे मे कुछ जानकारी ঘা लेता ज़रूरी
धा
तो पृष्वी पर बैठे-वैठे लोगो ने कैसे यह पता लगाया
कि रात का काला आकाश क्या है, चढद्रमा क्या है,
सूरज क्या है, तारे क्या हैं? ऐसे तो तुम चाहे मारी-
सारी रात बैठे आकाश को देखते रहो, वह छत ही लगता
है, सूर्य और चद्रमा उजली “चपातिया ” लगते हैं और
तारे केवल चमकीले चिदु ही।
उन्हे अधिक अच्छी तरह कैसे देखा আহ?
कागज पर स्याही से बने छोटे से विदु को तुम
आवर्धक सैस से देव भक्ते हो। देखा है कभी? यो
देखने में यह छोटा-सा विदु ही लगता है, लेकिन आवर्धक
लैस से देखो तो खूब बड़ा “ भवरीला” घव्वा लगेया।
वागद्ध भी चिकना बांगज़ नहीं लगता, रोयेदार ऊनी
कपड़े जैसा लगता है।
आवर्धक लैस से अपनी उग्रसी देखो तो वह बहुत
बडी और मोटी लगती है। उस पर हर रेखा को अच्छी
तरह देखा जा सकता है।
लेकिन कागज पर विदु और अपनी उगली तो
ऐसी चीजे हैं जो हमारे बिल्कुल पास ही हैं। आवर्धक
लैस को इनके प्रासं से जायां जा सकता है। आकाश के
पास तो इसे नहीं ले जाया जा सकता।
पता है, आकाश के लिए भी अपने आवर्धक लैस हैं!
ठुमने कभी बाइनोकुलर देखा है? दध्ायद देखा
होगा। बाइनोकुलर भी तो आवर्धक लैस है। बस यह
वैसा नही है, जिसे “उगनी के बिल्कुल पास” ले जाना
चाहिए। बाइनोवुलर से हम दूर की चीजे अच्छी तरह
देख सकते हैं।
बाइनोकुलर लेकर सडक के उस ओर देखों। ऐसा
लगता है जैसे सब कु पास आ गया, बडा हों गया,
ईतः
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