भूदान गंगा भाग 4 | Bhoodan Ganga Part-4

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Bhoodan Ganga Part-4 by निर्मला देशपाण्डेय - Nirmala Deshpandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सूद्ात : गाँबीजी के प्रेस-बिचार का प्रचार ७ उस तक्‍कशीफ में उसे आउन्द द्वी शोता है। गह प्रेम का अ्नुमय इरएक म्फ्ता छत इरएक पर मे दोता है। हमे सी प्रेम को पैलाना है, स्वापक बनाना है । श्रगर कमार गेम फैल च्म तो मानन्द मी छड़ेगा | पार्चों ब्ना वी माता को प्रेम वा 'कितना झनुभय होता और किठना झ्ानन्द मिक्ता है | प्रगर मं को सह लगे कि दुनिया में खितने बच्चे सम मरे ठो सका प्रातस्‌ कठिना भगा महप्मा गांदी इसी तरह के थे ! मानव-प्रेमी दी ईश्वर मक्त हमने श्रप्नां शलो गागीभ्यैका दर्शन कपा प्मौर उनकी गद पर पलने की कोशिश बी | उन्हं गये श्राथ सात झाठ धाश हो गये फिर मी आज उनका छस्म टिवत मना रहे हैं। महपुरुप कमी मरते नहीं, बे इस लोगों के दृतम मे सटासबंटा विद्यमान रहते ईं | लय बे शरीर में रहते हैं, सत्र शयो ऐते हैं श्लोर घर शर्यर छोड़ देते रो बहत बरे मन जले द| मात्र अयशरीरमे चे तय द्धोरे मशव्मा ये शेषि शरीर होने के भयु बे मान्‌ মন্দা হী বার । षरे एम सरो हिलवे१ ঈহযা ইত &। एम उनका श्मस्ण इसीलिए শি & কি জলরী राइ पर चर्म ) उन्होंने इसे सिलाया खाकरिखयरपरप्रम क्णो ऊॐँज-नीन म्यब मूर शप्रो छूट ब्ज्ूत का भेद ग्वदे। यमद्‌ रपर ने केरा नां भिमा। गावि-मेद्‌, षमम्‌ धरामि खरे मेद्‌ मनुष्य ने बनाये हैं। परमेर्यर ने हो हम सबको मानय बनाया है, झ्मतः इम मानय के नाते एक-दूसरे पर प्रेम करें । दस तरद एक दूसरे पर प्रेम बरनेयासे ही ईश्खर वो मानते हैं। फ़िर आह ने ईर्र का नाम न के हो मो परपर के मस्त हैं। जो पपने माया पर परेम नी कये बेनस्वर के मनी चरेते यमम हृप्थ राज शेलन ठै । एमने पनी कममर हे छि मर्मा गारी ন इमे अट विचार टिया है। बह बोइ नया डपरेश नहीं पुराना ही है। शत पमअस्थों ने परी डप॑श শির है। इसामसीइ ने यरी सिपाया है। बुद मगशन्‌ बही कते गये रौर एमे अ्ुपियो ने मी यश सिपाय। मक्त-मइरी ने यरी घोष छगाया | लेडिन इसने




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