राजस्थानी लोक साहित्य | Rajsthani Lok Sahitya
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कथाएं, वरावर' वरदा में प्रकाशित हो रही हैं । श्री मोहनलाल पुरोहित की व्रत
कथा संकलन भी इसी कड़ी की महत्वपूर्ण प्राप्ति है । कहावतों की सेकड़ों कहा-
नियां पंडित श्रीलालजी मिश्र को लेखमाला में मरुभारती से प्रकाशित होती
रही हैं। इस'तरह की कहावती कहानियों के दो लेख इस प्रबंध लेखक के भी
वरदा नामक शोध पत्रिका में छपे हैं। दोहे आदि पदों से सम्बन्धित लोक प्रवाद-
रूप कथाएं पर्याप्त मिलती हैं। जिनमें डॉ. कन्हेयालालू सहल ने छोटे छोटे उपा-
ख्यानों के दो ग्रंथ प्रकाशित करवाये हैं। श्री मनोहर शर्मा ने भी इनके चार
शतक अपनी वरदा पत्रिका में प्रकाशित किये हैं राजस्थानी. कहावत का
उद्गम और राजस्थानी लोक कथाएं नाम से दो लेख भी लिखे हें । जिनके पांच
सौ लोक मुख पर अवस्थित कथाओं का निर्देशन भी किया हें । श्री अगरचन्द
नाहटा ने वाग्विक्रास कथा संग्रह नाम से एक निवंध प्रकाशित करवाया है ।
उन्होंने लिखा हे कि राजस्थानी बातों के पचासों ग्रुटके मैंने देखे है । उनमें से
कई प्रतियों में तो ६०-७० और १०० कथाएं मिलती हैं। ^
राजस्थानी कथाओं का प्रथम प्रकाशन - राजस्थान के प्राचीन साहित्यकारों ने
सेकड़ों लोक कथाओं को लिखकर सुरक्षित रखा है। पर मुद्रण युग में पहले पहलू
बम्बई के प्रथम प्रकाशक खेमराज श्री कृष्णदास ने 'रतना हमीर' की बात और
'पन्ना बीरमदे' की बात को प्रकाशित किया । संवत् १९५६ में पंडित किशनलाल
श्रीधर [ शिवलाल | ने अपने ज्ञान सागर छापेखाने से 'पलक दरियाव' की कथा
प्रकाशित की थी । आज से ३५ वर्ष प्रथम श्री घनर्यामदासजी विड्ला की
प्रेरणा से श्री सूयंकरणजी पारीक ने राजस्थानी बातों का कठिन शब्दों के अर्थ
व टिप्पणियों के साथ सुसंपादित संस्करण प्रकाशित किया था । उनके पश्चात्
वहीं से डा. कन्हैयारार सहल ने चौबोली नामक राजस्थानी की एक बड़ी लोक
केथा का संपादन किया । इसमे 'खीवि बीजे री वातत “ राजा मान्धाता री बात,
“सूर अर सतवादी री बात' आदि करई उप-कथाएं भी प्रकाशित हुई हैँ । स्वर्गीय
पारीकजी के ग्रंथ राजस्थानी बातों में भी जगदेव पवार, जगमार मालावत ;
और वीरमदे सोनगरा आदि नामों से ७ लोक कथाएं प्रकाशित हुई है । श्री नरो-
त्तमदासजी स्वामी ने बातों के दो संग्रह और राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर से
छपवाये हैं । इन्होने राजस्थानी , राजस्थान भारती , ओर राजस्थानी निन्धः-
माला में हस्तलिखित प्रतियों से संपादित कर बहुत सी बातें प्रकाशित करवाई
हैं। जिनकी सूची निम्न प्रकार है। १.राजा भोज माघजी पंडित और डोकरी
री बात, २. वात देपाख्दे री, ३. वातत साहूकार रं वेर री, ४.वात जसमा
ओडणी री, ५. फोफानंद री , ६. विणजारे विणजारी री, ७. सयणी चारणी
१ वरदा लोक साहित्य विशेषांक पृ १०९१.
राजस्थानी लोक साहित्य °^ २७
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