समस्या और समाधान | Samasya Aur Samadhan

Samasya Aur Samadhan  by महोपाध्याय ललितप्रभ सागर - Mahopadhyay Lalitprabh Sagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महावीर समाधान के वातायन में ९ ही प्रियान्वित किया इसक्िए गाधी वस्तुत महावीर के दूत हैं, सन्देशवाहक हैं । ठीक वसे ही जसे भल्ला के पंगम्वर महम्मद हुए । महावीर मानव - मुकुट हुए। खरेखर, वे वीर थे, महावीर थे, भला, जिस युग मे मानव मानव से घृणा करता हो, उस समय हर मानव के प्रति समानता, मैत्री और करुणा-दया रखने की प्रेरणा देवा कितनी अनूठी वात है। यह महावीरों के ही हाथ की वात है। इसलिए महावीर भगवान्‌ की सभा में जहाँ एक ओर गौतम, अम्निभरूतति जैसे उत्तम ब्राह्मणकुल मे उत्पन्न व्यक्ति को साधना-मार्ग मे दीक्षित किया गया, वही पर हरिकेशबल जैसे शूद्र और आद्र कुमार जैसे भनायंकुरु मे उत्पन्न व्यक्ति को भी दीक्षित किया गया था। हत्यारे अजुन और चोर रोहणिये को भी महावीर स्वामी ने साधना-मार्ग पर ठोक वेसे ही आरूढ किया था, जैसे राजकुमार मेघकुमार और अतिमुक्तक आदि को । सचमृच,--- हर आत्मा मे परमात्मा है, , छा्ों में भी ज्योति महान ॥ सारी सानव-जाति एक है, उसमे फंसा भेद-वितान ? ज्योति सवकी एक है, फिर चाहे वह मिट्टी के दिये से प्रगट हुई हो, चाहे सोने के दिये से | भीतर से सब नप्न हैं, और एक जैसे, वस्त्र तो आवरण हैं, बाहरी आरोपण हैं। इसलिए महावीर स्वामी ने जातिगत भेदभाव का पूरा निषेध किया । न कैवल जातिगत भेदभाव, अपितु आधिक दृष्टि से भी महावीर ने मानव मात्र को एक समान बताया । उनकी सभा में जितना महत्व मगध नरेश श्रेणिक और राजा कोणिक को मिलता था, उत्तना ही महत्त्व पूणिया जैसे निर्धन वेश्य श्रावक को मिलता था। वहाँ पर गुणो की पूजा है पेसे की नहीं है। मगध-नरेश के आने पर यह नही कहा जाता था कि मादये 1 आदये 1। पधारिये 11! अगि वैच्यि। और पृणिये जसे गरीवो को यह नही कहा जाता था कि पीये जाकर वैठो 1 मनुष्यमान एक समान है। पैसे के द्वारा, जन्मना जाति के द्वारा मानव का विभाजन नही किया जा सकता महावीर दुनिया के सबसे पहले साम्यवादी हुए। उन्होने ही साम्यवाद की सर्वप्रथम स्थापना को । साम्यवाद के प्रथम आचायं और प्रवर्तक महावीर स्वामी हुए । चाहे जातिगत दृष्टि से, चाहे सामाजिक दृष्टि से और चाहे आधिक दृष्टि से सभी दृष्टियो से महावीर ने सवको एक समान समझा । जाति तो व्ौती तथा पैठृक देन है और घन चचल है। जो अमीर कल धन का गर्व कर रहा था, वही आज भीस मागता नजर आता है। और जो कल भीख मास रहा था, वह आज वेभवमसम्पन्त दिखाई देता है । एसे उदाहरण हम अपनी जसो के सामने रोज़ाना देखते हैं। किसी শি का जहाज इूवता है तो किसी की लॉटरी खुलती है। सुख और दुख के व्यूह-चक्र मे




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