सतकनामा पंचम कर्मग्रंथ | Shatkanama Pachanma Kamargranth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. वल्लभदास तिवारी - Dr. Vallabhdas Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रसावना
कर्मग्रन्थ ट्वितीय विभागलु नवीन संस्करण--आ विभागमां तपागच्छीय मान्य
आचायैप्रवर श्रीदेवेन्द्रघरिकृत स्वोपश्ञ टीकायुक्त शतक नामना पांचमा कर्मभन्थनों
अने आचाये श्रीमलयमिरिक्रत टीकायुक्त सित्तरि नामना छट्ठा कर्मग्रन्थनों समावेश
करवारमों आव्यो छे|। आ बन्ने य सटीक कर्ममन्थोने बीजा विभाग तरीके प्रसिद्धिमां
छाबषबा माठेनो यश वर्षों अगाड श्रीजैनधमेप्रसारकक समा-भावनगरे प्राप्त कर्यो छे ।
आजे ए प्रकाशन अल्भ्य होवाथी अमे एने बीजी बार प्रकाशमां लाववा प्रयत्न करीए छीए।
आ वखतना भ्रकाश्चनमां संसोधनकायैमाटे प्राचीनतम ताडपन्रीय अने काग्छनी प्रतोनो
उपयोग करवा उपरांत टीकाकारो टीकामां बद्धुत करेखा प्रमाणोनां स्थलोनी नष
अने प्राकृत पाठोनी छाया पण आपषषामां आवी छे । आदिमां अने अंतमां कर्मघ्रम्थना
अभ्यासीओने अतिडउपयोगी विषयानुकम, परिशिष्ट वगेरे पण জাথআানা आन्यां छे,
जेनो परिचय आ नीचे कराववामां आवे छे ।
करम्रन्थनां परिशिष्ट आदि--आ विभागना अंतमां अमे चार परिशिष्ट आष्यां छे ।
पहेला परिशिष्टमां टीकाकारोए टीकामां उद्धृत करेलां आगमिक तेमज शास्त्रीय गद्य-पद्म
प्रमाणोनी अकारादि क्रमथी अनुक्रमणिका आपी छे, बीजा-बत्रीजा परिशिष्टमां टीकामां आवता
ग्रन्थों अने प्रन्थकारोनां नामोनी सूची छे अने चोथा परिशिष्टमां पांचमा-छट्ठा कमैप्रन्थर्मा
तेमज तेनी टीकामां आवता पारिमाषिक शब्दोनो कोष ( जेनी व्याख्या आदि मूढ के
टीकामां होय ) स्थव्छनिरदेशपूर्वैक आपवामां आव्यो छे ।
आ उपरांत आ विभागनी श्चरुआतमां विषयानुक्रमणिका पष्ठी अमे “ पृद्कमंग्रन्था-
न्तर्गतविषयतुल्यतानिर्देशकानां दिगम्बरीयशाख्रमध्यवर्तिनां स्थलानां निर्देशः ” ए
मथा नीचे छए कर्मप्रन्थमां गाथावार आबता विविध विषयों समानपणे के विषमपणे
दिगम्बरीय श्ासलोमां कयां क्यां आवे छे तेने रगती एक अतिमहस्वनी नष आपी षे ।
आ विद्रत्तापूण नोध दिगम्बर जैन विद्धान् न्यायतीये न्यायश्ञास्त्री पं० श्रीमहेन्द्रकुमार
महाशय तैयार करी छे | आ नोंध कर्मपन्थना विशिष्ट अभ्यासीजओने एक नवीन भागैनुं
सूचन करे छे । अमे इच्छीए छीए के आ गौरवभयौ संम्रदनुं कमेविषयक साहित्यना
विशिष्ट अभ्यासीओ ध्यानपूैकं अवलोकन करे ।
कमग्रन्यने अंगे अमारं वक्तव्य--श्रीआत्मानन्द्-जैनप्रन्थ-रत्नमाङाना यख्य
संचाढक अने एना प्राणस्वरूप पूज्य गुरुवर श्रीचतुरविजयजी मद्दाराजे स्वसम्पादित
कर्मग्रन्थना प्रथम विभागनी प्रस्तावनामां आचाये श्रीदेवेन्दधद्चरि भने तेमना नव्य परदे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...