श्री महाराज हरिदासजी की वाणी | Shree Maharaja Haridas Jee Ki Vani

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Book Image : श्री महाराज हरिदासजी की वाणी  - Shree Maharaja Haridas Jee Ki Vani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृष्ठ १६ ४.५ ५५९ ९० ७६ ७८ ন্‌ ३२४ १२४ १३६ १८५ १६० १९० १६९३ १९७ २१४ २१४ २४१ २४१ २५६ २६० ३५६ ३६७ ३७१ ३७२ ३७३ ३८९१ ३८२ महाराज हरिदासजी की गंणी का पक्ति ६ १ १८ डे १० भ्‌ भ ११ १५ ११ १८ 1 भ्‌ ४ ठि० ४ टि० २ टि० १ टि० ५ टि १६ ११ २० এসসি হাছ-্ঘল प्रशुद्ध शब्द तुम्हरी मूढि सत्य सकला घीरज जडे कुवुधिकरि अवधू श्रवध्‌ অন্তি आध - परि करिपे रे लूघा तडपती श्रगहि गम নীল ठट टेतू मापकि जालि मित्वा जषे आषो परम षरम फोड़ ॥ इति ॥ शुद्ध शब्द तुम्हारौ मूठि सप्त सगला धीरज भडे कुबुधि करि ग्रवधू अवधू पडि ग्राध हरि करिये रे लुधा तडफती गहि শ্যাম बोले हट तटे मायिक्‌ जलि मिल्या जपे आपौ परम परम कोइ




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