जैन बाल बोधक भाग - 1 | Jainbalbodhak Bhag -1

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Jainbalbodhak Bhag -1 by नेमीचन्द वाकलीवाल - Nemichand Vaaklival

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अयवमभाग । १७ लखि छांहीं। जह हाथिको बेच विसि गपेः क्रपूर कपास समान विकॉदी ॥ जहेँ कोकिल हस मयूर मरे, जहें काककि लीला लखें सुख पादीं । जिर्द ठीर न आदर गुणियनको, ति देशहिको परणाम सदाहीं॥ १॥ পিসি ग्यारवां पाठ याद रखने छायक २९ शीक्षायें | १ साच वचन सुखसे नित भाख । २ पटेत्‌ समम खज मत राख ॥ ३ पाठ पढ़नका आलस हरो । 9 पढते इत्त उत्त नजर न करो ॥ १॥ १ सब छात्रनसे राखहु मेल । ६ खोटे लड़कन सग मत खेल ॥ ७ छायनमे सगडा मत करो 1 ८ सरसे मित्रभाव नित धरो ॥ २॥ ९ परनिन्दा मुसपर सत खव 1. १० अपनि वरह तज भव ॥ `




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