जेल प्रशासन से सम्बन्धित विधि एवं जेल सुधार | Jel Prashasan Se Sambandhit Vidhi Avam Jel Sudhar

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Jel Prashasan Se Sambandhit Vidhi Avam Jel Sudhar by अमित कुमार अग्रवाल - Amit Kumar Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवारण और रोक को वास्तविक रूप में समानार्थी माना है।“ यदि कोई व्यक्ति अपराध करने की प्रवृत्ति की ओर बढ़ता है अथवा अपराधी बनता है तो उसे रोकने तथा समझाने का प्रयत्न करना चाहिये, जिससे वह अपराधी न बन सके। अपराधशास्त्रियों के अनुसार निवारण या रोक एक दूसरे के समानार्थी हैं। पुर्ननामाजीकरण अथवा पुर्नवास: समाज की न्याय व्यवस्था के माध्यम से यह प्रयत्न किया जाता है कि व्यक्ति समाज के नियमों का पालन करे तथा व्यवस्थाओं में सहयोग दे। परन्तु अध्ययन से ज्ञात होता है कि दण्डात्मक व्यवहार से अपराधी की अपराध करने की मानसिकता में वृद्धि ही होती है, उसे सुधारा नहीं जा सकता, इसलिए उसे तिस्कृत करने की अपेक्षा अनुशासन, सम्मान आदि से परिचित कराया जाये तो वह सुधर सकता है । शासन प्रणाली (सामाजिक व्यवस्था) का मुख्य उद्देश्य जहां तक संभव हो सके, कैदौ का पुनवसि करना है। जेल प्रशासन कैदियों को समाज में अपना उपयुक्त स्थान बनाने के लिए उनके प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देता है, और ऐसा करने में कैदियों की सहायता व सहयोग करता है और उनके मुक्त होने के नाद उनकी देखभाल करता है। सावधानी पूर्वक चयनित ओर अच्छी तरह प्रशिक्षित कर्मचारियों के व्यक्तिगत प्रभावों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है साथ ही साथ उन महिला एवं पुरुषों पर भी ध्यान दिया जाता है जो स्वेच्छिक सामाजिक सेवा के रूप में शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करते है तथा कैदियों के साथ मैत्रीपूर्ण दंग से व्यवहार करते है । ” जेल एक नैतिक चिकित्सालय होनी चाहिए । सर टॉमस मॉट के अनुसार ' कैद केवल बुराई को मारना है और इंसान को बचाना है, कैदियों पर इतना अत्याचार नहीं होना चाहिए कि वे मर जायें। जेल प्रशासकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी देखभाल में जो कैदी हैं वे शारीरिक और मानसिक रूप से इस प्रकार निपुण हो कि जब वे जेल से मुक्त हों तब वह अपने आप को समाज में रहने के काबिल समझें, और चुनौतियों का सामना कर सके ।” पेटरसन का अभिमत है ' व्यक्ति जेल में दण्ड के बतौर आते हैं न कि दण्ड के लिए। » गाल्टंग पुर्नसामाजीकरण तथा अधिक लोक प्रिय शब्द पुर्नवास के बीच अंतर को मानते... है। पुर्नवास में व्यक्ति सामान्यत: आपराधिक कार्यों से इसलिए बचता है कि उसके कार्य करनेके सामान्य क्षेत्र में ऐसे कृत्यों के लिए अवसर नहीं होते। दूसरी ओर पुर्नसामाजीकरण से तात्पर्य है कि व्यक्ति _




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