सामवेद संहिता | Samved Snhita

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सामवेद संहिता  - Samved Snhita

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पंडित ठाकुर दत्त शर्मा - Pandit Thakur Dutt Sharma

Add Infomation AboutPandit Thakur Dutt Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१३) किया ई] दमन उक दोना साध्यों मे से किसी का भी बेनुप्तण नहीं জিনা 1 देस करने के बहुत से कारण हे । ( $) साथण से फपने भाष्य से पृतिहासिक पक्त को बहुत पुष्टि दी डहैं ज़ो बेदा। को साहात्‌ ढखरे मचन मानेन में भारी विधातक है । इससे चढ़े का महत्व सी बहुत घट जाता ই। পর “^ ९-८ २ ) यज्ञपरक श्रथ करतेने में बधापि, साग्ण सफल हुआ है तो भी एक दोप उसके भाष्य मे यह दे कि जो दिशपण लिस पदांथे के योग्य होना चाहिय वह उस पर नहा छूगता झौर- जो पिशपण मिस पदार्थ में नहीं बटते थे बस पर छगाये जारदे हैं।। उससे घेद्मन्‍्त्रों मे शसत्याये प्रतिपादून करने का भारी कलक श्ाता डे । फसल यज्ञ सें भागे भप्ति জাম भादि पदाथों के बर्णंन से सामवेद का अधिक भाग त्गा জু देखरूर सायणु भाप्य के झंनुसार चिचार करने से यह प्रतीत होगा कि वेदमन्त्र र अनावरयक गीत गां गा कर मन्त्र पूरे किये गये हैं आर उनका गुड़ নাবী সন नदी ई 1 गद्दी प्रभाव थोरोप के विद्वानों पर भी पड दे । हसी कारण योरोप के अनुचादक भा साथशण के पे र पग रस्ते हुए उसो प्रकार असंगत श्र करत गये है जिल प्रकार साथण ने किये है ! उद्यसे म बदृकूर योरोप के अनुवादको ने कीं २ स्वतन्त्र सी श्रं लपि दै.परन्त॒ देतिशधिषट पथ छो दष्क म उन्दमि वेदक यौगिक श्री पर विवार न किया | हमारा कहने का ताप्पये थंद् है कि वेदाय ह करने में विद्या के परम भण्डार, ड्रेंधरीय त्तानि के श्राढरयौय अन्धी काचित शर्मीरता से वेदसाप्य प्रकर द्वोना चाहिये था बसा श्रभों तक ककिसी ने सी करने छा प्रयास नहीं किग्रा । हम आपने सनन्‍्तव्य का और मो অধিক स्पष्ट करने ® शछिय कुछे एक नमूने भ्रन्‍्य साध्यों के उद्छत करते हैं जिससे पाठक दसद कथन का भ्रभिपराय समस सने! येद क




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now