तुलसीदास और उनकी कविता भाग - 2 | Tulasidas Aur Unaki Kavita Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
552
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সু हेर # क्त
रा भाग
বউ উর है। रामचरितमानस की भाषा मुख्यत,
अवधी है । अवधी ही के उन्होंने उसके लिये क्यो चुना ? इसका
कारण यही हो सकता है कि अवधी उस प्रात की बोली है,
जिप्तम उनके आराच्य देव मर्यादा-पुरपोत्तम राम ने श्रवतार
लिया था | उसपर उनका सहज अनुराग होना बिलकुल स्वाभा-
विक्र था |
उनके कुछ काव्य ब्रजभाषा में भी हैं। भाषा के विशेषजों
का यह कथन है कि उन्होने न शुद्ध ब्रजभाषा ही का प्रयोग
किया है, न शुद्ध अबधी ही का। उनके इस कथन मे सत्य का
कुछ अश होने पर भी उसमे तुलसीदास की कोई त्रुटि नहीं पाई
আলী, क्योकि तुलसीदास ने परिमाजित भाषा का स्वरूप दिख-
लाने के अभिप्राय से अपने काव्य नहीं लिखें थे।
प्रसगानुखार उन्होने सस्कृतं तथा अवध ओर ब्रज के निक-
टस्य प्रान्तों मे प्रचलित भापाश्रों और बोलियो के शब्द;
कहावते ओर महावरे भी ले लिये हैं । दिन्दु-सस्कृति के कटर
हिमायती होते हुये भी उन्होंने अरबी-फारसी के शब्दों का
बहिष्कार नदीं किया था, बल्कि उनको हिन्दी की पोशाक पहना-
कर उन्होंने हिन्दू-शब्द-समाज में बराबर का दर्जा दिया है।
जैसे |--
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