संक्षिप्त जैन इतिहास भाग - 2 | Sankshipt Jain Itihas Bhag - 2

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Sankshipt Jain Itihas Bhag - 2 by कामताप्रसाद जैन - Kamtaprasad Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६३ १६९ १७३७ १७१ १७२ ५८१ 85 १९५ 1८९ “१९१ १९९ ৪) ৩ २०१ २०३ 2४४ 32 २०९ २१२ २१४ २३२० २१३ 85 १० ४६१३ २२ ११ षृ १९ १५ ছা २२ ८9 0 १८ १३ ५२ २३ २ (१३) অধ इमां भाप्राएण कोई ६६ अन्यथा पारध्व पारत्व र संस्था शासन घ्वीकार करने अग्निचिता सभी उलट नियमय भासविसन उपदेश पी शक कटिपवे अवुद्ध ভি সন भादी 00०81 कषान -प्रारभीक भा० पट ন্‌ ष्म ` भप्राण को ६८ জন্থন্গ पारत्य प्रप्य संख्या 'झाप्तन स्वीकार न करने अग्नि ভিলা कमी उत्कर विनिमय धात्म विद्रजन देश श्री द्शा कठिवप्र प्रबुद्ध কিন দশদ भादि ০0009] शासक प्रारंभिक सा० ३ ३७




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