दान कथा | Daan Katha
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दानकथा | [ १५
तिस दीरधफर आयु, रहै जन जगतमंश्चारी
-बहूुरि रुहे चित स्वाथ, इष्ट आदिक सब नाद
होय निरोग शरीर, सदा आनंद प्रकशि ।
चावे धन अरु घान्य, संपदा वषु निर्मल आति।
बहुरि लहे शिवथान, देय जो भेषज नितप्रति
| दोहा ।
सो यह ओपघदान शुचि, दीजे पात्रनहेत ।
दयासहित श्रम दारकें, जो पावों सुखखेत॥
जिन जिन जीवन फल लही, भेषजदान सदेय
तिनकी महिमा प्रयु विना, जगे को दरनेय ।
पद्धरी ।
अब इसहाके सनवंधमझार । श्रीवृषसे-
'नाको चरितिसार। पूरवअनुस्तार कहूँ बनाय ।
'कृल्याणहेत सनो चित्त लाय ॥ इस अन्तर ये
ही भरेतकषे्र । आ्रीजिनके जन्मथकी पित्र ।
तह कमलजुक्त सुन्दर विशेष । जनप्रद नामा
है एक देश ॥ कानेरी पचन तासु मद्ध । दप
उग्रसेन नागा प्रसिद्ध । सब विद्यामंडित अव-
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