कर्त्तव्य - कौमुदी | Karttavya - Kaumudi
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
556
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चुन्नीलाल वर्धमान शाह - Chunnilal Vardhaman Shah
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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नार्थ हम भीयुत व्याचरद्व जी. गोयलीय ची० ए० केशहदी में
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हू. गशाज कल की. शिक्षा प्रयाली ऐसी बिगड़ी हुई दै:कि'
ध इसमें सर्दायार की शित्ता नौम:सान्न को सी नदों' दी जाती ।
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9 धीरे उसके शिकार बन जाते.हैं। यही . कारणः-है कि झाज-
हैं फल: के लड़को, का चरित्रं श्रायः बिगड़ा हुआ,वील: ४:
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