कर्त्तव्य - कौमुदी | Karttavya - Kaumudi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। कजत कफकफककक कजम দু (হজ). ह রর উহ জী सर्च सा्थारिश ই 8. 3.2 गीः हो ठै कतम्य कमे संतं साधारण फो दसं.श्कार उपथोगी होने © हे पंर भी झाधुनिक समय में मेज प्य सेमॉज का ध्यान. दसं शरोर $ भर जिंतनी चाहिये उंतना आकृ्ट नहों दोतां, अन्य कई कारणों मे 1 के अतिरिक्त इंसका यदे एक विशेष॑ कारण है किलो गर्णो ४ को प्रारंसिंक शिक्षा रूप से कतश्य कम पालन `का मसा & इनके हंइय स्प सचि म - विधित. स्यान नदी पादा दिसते ती कव्ये कमं शितेख की. योग्यता के अयसा. जितनाथ जो ঠা कुछ भी अवसर मिंखतों है बह उसे प्रमांधोत्पांदक बनाने में রি भसंमर्थ रहते है, रच तो यंदें हे कि साधभमंमिंक “ভান से भ कक्तब्य कंगे पालने की शिक्षा फे पंक पकः पकार तेकर श्वत ई में लोप सा दो गया है ऐसे! कई चिंढानों का मरते है । यद बाते कई निंधिधादं सिद्ध हो सुकी दे कि -आंजकंत की शिक्षा प्रंधाली हे फ ४ ॐ शा फ छ क ४ छ ४ श ( क নে ष [~ क र छ र श त ४ मा का के दूषित ইং-- 1“ ; ध छुप्रसिद्ध भ्रध्यात्मिक, लेखक, . जेम्स देशेन फी अभी है संसार में बढ़ी प्रतिएा है उनकी पुस्तक /सदेर्स दुषो सथा हू मजुष्य जीवन को बडी शान्ति/देने হাজী दें . ऊहोनें::आआजफल ४ की - शिक्षा प्रयाली के विष्यमें, एक स्थान पर अपनी ऋुछ' ¢ सम्पति निकी है जिसका दिनदी भठुवाद पाठकों के भपलो कक नार्थ हम भीयुत व्याचरद्व जी. गोयलीय ची० ए० केशहदी में ¢ दी लिकेदेतेद,. .: ; .: हू. गशाज कल की. शिक्षा प्रयाली ऐसी बिगड़ी हुई दै:कि' ध इसमें सर्दायार की शित्ता नौम:सान्न को सी नदों' दी जाती । ॥ लड़के आयः धुराई की ओर झधिक - कुक जाते: है और : धीरे 9 धीरे उसके शिकार बन जाते.हैं। यही . कारणः-है कि झाज- हैं फल: के लड़को, का चरित्रं श्रायः बिगड़ा हुआ,वील: ४: भ प्क पण




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