जैन रत्नाकर | Jain Ratnakar
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लेन रत्नाकर ই
चत्तारि मगर
चत्तारि मगरु--अरिदंता मंगलं, सिद्धा मगर, साह
मंगर, केवरीपन्नत्तो धम्मो मंगलं । चत्तारि लोयुत्तमा-
अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू रोयुत्तमा,
केवली पन्तो धम्मो रोयुत्तमो । चत्तारि सरणं
पवज्जामि - अरिहंता सरणं पवज्जामि, सिद्धा सरणं
पवञ्जामि, साहू सरणं पवज्जामि, केटी पन्नत्तं धमां
सरणं पवज्जामि ।
ए च्यारूं शरणा सगा, भौर न खगो कोय।
जे भवि प्राणी आदरे, भक्षय भमर पद् होय ॥
चउबीसत्थव
इरियावदहियाए
इच्छामि पदिककमिडं इरियावहियाए, विराहणाए |
गमणागमणे, पाणक्कमणे, बीयक्कमणे, हरियक्कमणे,
ओसा-उत्तिग-पणग-दगमद्ठी-मकड़ा संताणा संकमण। जे मे
जीवा विराहिया, एमिंदिया, बेइंदिया, तेईंदिया, चउरिं-
दिया, पंचिंदिया, अभिहया, वत्तिया, ढेसिया, संघाइया,
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