चरित्र - निर्माण | Charitra - Nirmaan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रवृत्तियों का संयम् : चरित्र का आधार १७
बुद्धि का वरदान मनुष्यमात्र को प्राप्त है । किन्तु प्रतिष्ठित-ग्रज्ञ,
या स्थितप्रज्ञ वही होगा, जिसकी प्रवत्तियां उसके वश मे होगी ।
इस तरह को सबल प्रज्ञा ही आत्म-निणंय का अधिकार रखती
है । यही प्रज्ञा है जो परिस्थितियों कौ दासता स्वीकार न करके
मनुष्य का चरित्र बनती है । जिसकी बुद्धि स्वाभाविक प्रवत्तियों
विषय-वासनाओं को वश मे नहीं कर सकेगी, वह् कभी सच्चरित्र
नहीं बन सकता ।
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