रथ के पहिये | Rath Ke Pahiye

Rath Ke Pahiye by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रथ फे पद्ये में दाली गई है ।” प्त शौर दसय ॐ विना तो सभ्यता की कल्पना ही नीक जा सकती,” यात्री मानों किसी इमरी का पहला बोल पेश कता है। ध्म ज़रा उत जमाने के हथियार भी मुलाहजणा हों,” क्यूरेटर आगे बढ़ कर शोकैस वी तरफ इशारा करता है, “ये रहे तीर-कमान और माले, खंजर और गुर, बरहियाँ और कुलहाड़ियाँ | ये सब शिकार के हथियार है। हूँ दने पर भी तलवार का पता नहीं चलाया जा सका) ने जिरह-बकतर किस्म की कोई चीज मिली है। शायद मोहेंजोदड़ों के लोग जंगजू किश्म के इन्सान न थे। उन्हें कमी जंग ते নাজা न पड़ा होगा |” धग पर लानत भेजो, यात्री उमर कर कहता है, “पहले महायुद्ध क हमारे युग में दूसरा महायुद्ध लड़ा जा रहा है। दुनियाँ तबाह हो रही 1! , “दे रहे बच्चों के खिलौने,” क्युरेटर नया पर्दा उठाने के अन्‍्दाज मैं कहता है, “बच्चों पर तो हर युग की सभ्यता निगाह डालती है। बच्चों के खिलौनों में पालतू पशु देजिए, चिढ़ियाँ देखिए, शुड़ियाँ देखिए; वह रही माटी की बैलगाड़ी | इराक और मिल में ईसा के जन्म से सवा तीन हजार बरस पहले का जो रथ मिला है उसकी वज्ञा-कता हू-ब-हू ऐसी है।? #दूर क्यों बाते हो, व्यूरेटर साहब !” यानी जेसे व्यंय का अवसर पाकर कहता है, “अजी, बेलगाढ़ी का यही नमूना हमारे देश के चप्पे-चप्पे पर मिलता है । वै्तगाद़ी ऋ यही नमूना सिन्ध मँ भी क्राम है। डोकरी और भोहजोदड़ो के बीच जो वैलगाड़ियाँ चलती हैं, इसी डिज़ाइन की हैं और उन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि हमारे देश ने जरा भी तरबकी नहीं की; हम आज 'भी वहीं खड़े हें जहाँ मोहेंजोदड़ों के युग में खड़े ये”? कपुरर आशय से बैलगाड़ी के पहियों की शोर देखता है | “बह रही शक्ति या पृथ्वी देवी,” क्यूरेटर आगे बढ़कर एक शो-केस पी तरफ़ संकेत करता है, “इस मूर्ति ঈী বান উহ ই श्रौर छः ऑँसें; हे ` २१




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