प्रेमोपहार | Premo Pahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ सिंहनाद पाटक '( सर०--कुमार | यदि आपकी सहायता हुई ओर जाचायरयफों জা তুই নী हम ऐसा ही करेगे ! दिखा दे'गे सम्ी देशोंकों हम केसे दिलावर हैं । हमारी ज्ञातिके हर एक वालक शेर नाहर हैं ॥ क्षमाके रूप हैं हम, किन्तु, रणमें क्रोध्र-लागर हैं । सदा आज़ाद हैं, स्वाधीन हैं, हम शूरमा नर हैं॥ तहीं वाचाल हैं हम, द्वाय्यकों करके दिखा दे'गे.! हमारे साथ ईश्वर है तो छुश्मतको हरा देगे॥ कुमार--अच्छा, अब जल्दी चलनेका सामाव करो । में चहुत जल्द शिवाजीके पास प्रथान करना याहता हूं । खब--ज्ञो आज्ञा कुमार--ओ करू कलङ्क यौर्टूजेव ! होशियार हो ; खवरदार हो, सम्हल, कहीं युद्धमें ऐसा न द्वो कि तूही मेरे हाथोंका शिकार द्वो। तेरी वादशाही समाप्त ्ो चुकी, तेरी दोशियारी खाक द्वो चुकी, अव यें तुभे अपनी वलवारका मज़ा चखाऊंगा में ही तेरे अत्या- चास स्वदेशक्ो स्वत॑ज् वनाङगा । निकलकर स्यानसे तलवार प्यारी) बनेगी शब्रुओंकी प्राण हारी ॥ समरकी है यही प्ररूयाज्नि कारी। [লতা देगी ये डुश्मनकी खुमारी ॥




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