राजनीति के विचार | Rajneeti Ke Vichar

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Rajneeti Ke Vichar by नरेंद्र देव - Narendra Dev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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শুভ समश्विाद संस्था है । । । ु (२) यह एक. जनतंत्रीय संस्था है। सभी देश ब्रिटिश संसदीय जनवाद ६ जअनुवर्तक हैं। इससे उत्तम संघ सामव इतिहास में कोई नहीं इञा । (३) स्वतंत्रता के छ सिद्धान्तो का प्रयोग भी इस संघ के अंगों में किया गया है, भले हो वह प्रयोग अपूर्ण क्यों व हो। साधारणतः भाषण ओर धर्म की स्वतंत्रता राप्य. मंडल के सभी देशों में है । & (४) इस राष्ट्रमंडल में नियम-प्रधान-शासव (७6 ० 1४ ) की प्रतिष्ठा है, ; कोई भी सनुप्य अकारण बन्दी नहीं बनाया जा सकता । प्रत्येक बन्दी को शीघ्रातिज्ञीत्र ॥ उसके अपराध की सूचना दी ज्ञाती है । | (५) राष्ट्रमंडल के नियम परिवर्तनशील है; इस कारण जनता कौ अत्याचरो से बचने का अवसर प्राप्त है। (६) इस राष्ट्रमंडल में रक्षा का संयुक्तं उत्तरदायित्व है 1 समणिवादो पेते राष्टमंउ को एक छद्‌ र सर्वामपूछ राति मानते ई । वह केन्द्रीकरण के साथ-साथ विकेन्द्रीकरण का भौ प्रतीक है। इस सजीव ओर जागरित संस्था में सर्वदा. परिवर्तन होते आये हैं। ये परिवर्तन क्षमता को प्रजाद॑त्र की ओर छे जाते हैं। राष्ट्रसंडल का कोई सी भंग उससे पृथक हो सकता है। समध्वादी दर्शन मध्यममार्गीय दर्शन कहा जा सकता है। वह साम्राज्यवाद ' का ब्रिरोधी है ओर साथ ही पूर्ण ओपनिवेशिक स्वराज्य का भी। वह समान भोर अर्थ पर पूजीपतियों का एकाधिकार नहीं चाहता जोर साथ ही साथ श्रमिकों का एकाधिकार सी नहीं । वह्‌ व्यक्तिवाद्‌ का विरोधी है जर साथ ही अधिनायकवाद का भी। वह रूढ़िवादी परम्परा का विरोधी है और साथ ही साथ एक पूर्णं नवीन समाज का मी! इल दर्शन का ध्येय स्वतंत्रता ओर छन्यवस्था का समन्वय है। ा्विन का कहना । था कि हम अपनी योजनाओं तथा दर्शन द्वारा पजीवादी और साम्यवादी दोनों संसार को अच्छाइयों का मिश्रण करना चाहते हैं, अर्थात्‌ समश्विदी एक ओर पलीवादी प्रजातंग्र की वेयक्तिक स्वतंत्रता के प्रेमी हैं जोर दूसरी ओर साम्यवादी अर्थ-योजना के भनु॒याय्री। आधुनिक योजनायें :-फेब्रियनवाद की परस्परानुसार भगुनिक समष्टिादी ५ भी राज्य के ढाँचे को अधिक जनवादी बनाना चाहते है। प्रायः सभी देशों के . समाजवादी था समष्टिवादी दल प्राचीन परम्परा की अच्छी विशेषताओं को घरक्षित रखना चाहते हैं। वे संसदीय जनतंत्र को अधिक जनतंत्रीय बनाने का आन्दोलन करते




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