नियोजन : देश और विदेश में | Niyojan Desh Aur Videsh Me

Niyojan Desh Aur Videsh Me by ए. बी. भट्टाचार्य - A. B. Bhattachary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय प्रवेश ] [३ } एच० लेवो (घ. ए) को पहैच महत्वपूं है 1 नियोजन, जंघा कि हम जानते है, मृष्यत. तोन उदर्यो को लेकर चना है देश के. आधिक जीवने मे स्थायित्व, उत्पादन तथा वितरण पर वुशलताएूर्वक नियन्त्रण तथा जनसमूह का उत्थान 1 एच० लेवी के मतानुसार योजना को सफलता के. लिये उल्तादन तथा वितरण पर निय्नन्त्रश रखना झावश्यक है, किन्तु उसको रूपरेखा क्या होनी चाहिए, इसको स्पष्ट करने मे वह श्रमफल रहे है 1 केवल 'स्वेन्थापूवक काय, अहृश्य तथा अतियनन्त्रित/ कह देना ही पर्याप्त नही है । आधिक नियोजन की एक दूसरी परिभाषा डा° डाल्टन (055 05150) ন इस तरह दी है--आश्िक नियोजन का एक व्यापक श्रथ है, इसके अधिकारियों का अपन चुने हुए उद्दें श्यो को अपने विस्तृत साधनों द्वारा वायान्वित करता । जैमाकि परिभाषा से प्रतोत्त होता है, डाल्टन अपनी परिभाषा को बहुत स्पष्ट नही कर पाये है। अधिक साधन सम्पन्न कोई भी समुदाय, राज्य एवं वर्ग हो सकता है , लेकित उनमे से योजना किसे बतानी है ? काय तथा लक्ष्य इनके विभिन्न हैं , लेकिन यह बसे जाता जाय कि कौनसा कार्य विशेष कार्यो मे लाना है तथा उसके क्या परिणाम है ? क्या योजना कोई निश्चित लाभ प्रात्त करने के ध्येय से बवाई जातो है ? ये कुछ प्रमुख प्रश्न हैं जिनका उत्तर देने में डाल्टन का परिभाषा प्रसम्थे है । इसलिये यह परिभाषा अपूर्ण ই। प्रो० रौबिन्स (07०. 8०0७७७) ने नियोजन को दो तरह से व्याण्या की है--- १---/वास्तव में देखा जाय तो सम्युण आरथिक जीवन हो योजना से भरा रहता है, योजना बनाने का अर्थ वायदे और उद्दंश्य से काय करना तथा पहुंच करना है । भ्राथिक प्रकरण मे चुनाव का अत्यधिक महत्त्व है।” २-- रथिक नियोजन इम युग की झचूक श्रोषध है । जत हितकारी राज्य के आदर्श को जानने का आधथिक नियोजन ही एकमान साधन है |? रौबिन्स की आधिक नियोजन की परिभाषा व्यावहारिक, पर्याप्त एवं पूर्णा है ॥ श्राथिक नियोजन के उद्दंश्य के विषय में तो दो राय नहीं हो सकती | इसका तो एक 1. +फूल्ग्घठ्क्कार एॉब्श्हातड, का 1८5 20656 52036, 45. चना0९०206 ৫1050010200 0563909 2 ০205৩ ০1 18256 16501429659 :0€ ৫০0302040. 9০হচে 005 01395610203 27 (सर ऐग्रा०8-- 77658८वां 6067405%, 2714319, (1935) ए 243 ) 21020750005 इउछच्गैक्ाह. 21. रणाणााए 1166 210501555 2120178 10 ए120 7६ ४0 2८ ए व 0000215৩) 2 =एष०्डल 00.:1700 ৩ 20 0109455130০ 855৩2০৩ ০% €০০007510 30015115 2? (प) 1205990020015 01215050535 8 পজ0 99005206০৫0 256 ঢ:০92০20 01200055 15901% 2.2052103 05 62115105136 वददम्‌ ०3 ৯৫৩15065150 ৮0 চ২০৮৩-2০০7707206 वामा काण्वं [प्लाव्य 074৮, (1938),৮ 3)




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