समकित रत्न सार संग्रह | Samkit Ratn Saar Sangrah
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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|} बन्दे वीरम् ॥
मंगलं भगवान वीरो मंगल गौतम प्रभु ।
मंगलं स्थूल भद्राय जैन धमंस्तु संगलं ॥
(= _ ৬১ ७ _ (=.
पचा कह क अयः सहत
সান
पहले घोले गति चार--नरक, तिथच, সন্ত
'और देव गति |
विशेषाथ--जीव की पयोय विशेष को হালি
कहते हें। (१ ) नरक में रहने वाले जीवों की
नरक गति है । (२) गाथ, मेंस, कुत्ता, ओदि
जीवों की तिथच गति है। स्त्री, बालक, मलुष्थ
सकी मनुष्य गति है। देवताओं की देवगति है ।
' प्रश्न |
गति कितनी हैं ? नरक व देवगति छा कथा
अथ है। मनुष्य, और पशु कौन गति का जीव हे ९
गतियो के नाप कहो ?
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