प्रसाद वाड्मय रचनावली भाग - 5 | Prasad Vadmay Rachanavali Bhag - 5

Book Image : प्रसाद वाड्मय रचनावली भाग - 5  - Prasad Vadmay Rachanavali Bhag - 5

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ये। तो क्या एक वंश में उतने ही समय में, तीस पीढ़ियाँ होष्गयीं, जितने में कि दूसरे वंश में केवल सात ही पीढ़ियाँ | यह बात कदापि मानने योग्य न होगी । संभवत: इसी विषमता को देखकर श्रीगणपति शास्त्री ने “अभिमन्यो: पंचविश संतानः” इत्यादि लिखा है। कौशाम्बी में न तो अभी विशेष खोज हुई है, और न शिलालेख इत्यादि ही मिले हैं; इसलिए सम्भव है, कौशाम्बी के राजवंश का रहस्य अभी पृथ्वी के गर्भ में ही दबा पड़ा हो । कथा-सरित्सागर में उदयन की दो रानियों के ही नाम मिले हैं। वासवदत्ता और पद्मावती । किन्तु बौढ्ों के प्राचीन ग्रन्थों में उसकी तीसरी रानी मागन्धी का नाम भी आया है। वासवदत्ता उसकी बड़ी रानी थी जो अवन्ति के चण्ड महासेन की कन्या थी । इसी चण्द का नाम प्रद्योत भी था, क्‍योंकि मेघदूत में “प्रद्योतस्य प्रियदुहितरं वत्सराजोष्त्र जह ” और किसी प्रति में “चण्डस्यात्र प्रियदुहितरं वत्सराजो विजह ” ये दोनों पाठ प्रिलते हैं। इधर बोढद्ों के लेखों में अवन्ति के राजा का नाम प्रद्योत मिलता है और कथा-सरित्सागर के एक इलोक से एक भ्रम ओर भी उत्पन्न होतादै। वहु गह है-- ततश्चण्डमहासेनण्योतो पितरो द्यो देव्योः “॥* तो क्या प्रद्योत पद्मावती के पिता का नाम था ? किन्तु कुछ लोग प्रयोत और चण्डमहासेन को एक ही मानते है। यही मत ठीक़ है, क्योंकि भास ने अवन्ति के राजा का नाम प्रद्योत ही लिखा है, और वासवदत्ता में उसने यह दिखाया है कि मगधराजकुमारी पद्मावती को यह अपने लिए चाहता था। जंकोबी ने अपने वासवदत्ता के अनुवाद में अनुमान किया कि यह प्रद्योत चण्डमहासेन का पुत्र था; किन्तु जैसा कि प्राचीन राजाओं का देखा जाता है, यह अवश्य अवन्ति के राजा का मुख्य नाम था । उगका राजकीय नाम चण्डमहासेन था। बौड़ों के लेख से प्रसेनजित्‌ के एक दूसरे नाम अग्निद्त्त का भी पता लगता है। बिम्बिसार श्रेणिक भौर अजातणशत्रु 'कुणीक के नाम से भी विख्यात थे । उदयन की दूसरी रानी पद्मावती के पिता के नाम में बड़ा मतभेद है। यह तो निविवाद है कि वह मगधराज की कन्या थी. क्‍योंकि कथा-सरित्सागर में भी यही लिखा है; किन्तु बोढों ने उसका नाम इ्यामावती लिखा है, जिस पर मांगन्धी के दवारा उत्तेजित श्ये जाने पर, उदयन बहुत नाराज हो गये थे। थे श्यामावती के ऊपर, बौद्ध-धर्म का उपदेश सुनने के. कारण, बहुत क्॒द्ध हुए। यहाँ तक कि उसे जला डालने का भी उपक्रम हुआ था; किन्तु भास की वासवदत्ता में इस रानी के भाई का नाम दर्शक लिखा है। पुराणों में भी अजातदत्र के बाद दर्शक, दर्भक और वंशक--इन कई नामों से अभिहित एक राजा का जल्‍लेख है; किन्तु महावंश आदि बोद्ध ग्रन्थों में केवल अज्ातश्त्रु के पुत्र उदयातव का ही नाम उदायिन, उदयभद्रक के रूपान्तर में मिलत। है। मेरा अनुमान है कि पद्मावती अजातशत्रु की बहन थी और १६ : प्रसाद वाइमय




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