डॉ० राज्मनोहर लोहिया के सामाजिक एवं राजनितिक विचार | Dr. Rammanohar Lohia Kay Samagic Aur Rajneetik Vichar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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No Information available about संतोष कुमार अग्रवाल - Santosh Kumar Agrawal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राज्य में ही सभी नागरिकों की भागीदारी संभव हो सकेगी ।
डॉ) लोहिया ही एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने वाणी स्वतंत्रता और
कर्म नियंत्रण का सिद्धान्त दिया । राजनीतिक दलों को, व्यक्तियों और समितियों
को बोलने का पूर्ण अधिकार होना चाहिए, भले ही वे कुछ गलत बातें करें ।
बहुमत को चाहिए कि वह अल्पमत की बातें सुनें, उनके सुझावों की ओर ध्यान
दे । केवल कार्यों के ऊपर ही प्रतिबंध रहना चाहिए, भाषण पर नहीं । डॉ0
लोहिया ने वाणी-स्वतंत्रता को दबाना एक जघन्य अपराध माना हालांकि उन्होंने
कर्मा पर नियंत्रण की बात को प्रजातांत्रिक प्रक्रिया का अनिवार्य अंग बताया ।
संक्षेप में डॉ) लोहिया ने वाणी-स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता,
निजी भाषा की स्वतंत्रता आदि क्रियात्मक रूप से प्रयोग करने पर बल दिया।
डॉ0 लोहिया ने धर्म को दीर्घकालीन राजनीति और राजनीति को
अल्पकालीन धर्म कहा है । उन्होंने कहा कि धर्म का कार्य अच्छाई को करना
है और राजनीति का कार्म बुराई से लड़ना है । धर्म सकारात्मक एवं दीर्घ, कालीन
होता हे, पर राजनीति नकारात्मक तथा अल्पकातीन होती है । धर्म का स्वरूप
शान्त होता है, जबकि राजनीति का रौद्र । धर्म एवं राजनीति एक ही सिक्के
के दो पहलू हैं । अतः वे एक दूसरे को परिपक्व और पूर्ण बनाते हैं |
डॉ) लोहिया ने अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर भी विचार प्रगट किये हैं
उदाहरणार्थ विश्व॒ समाजवाद, संयुक्त राष्ट्र संघ के पुर्नगठन, विश्व विकासं समिति
की पहल, विश्व सरकार का स्वप्न, निः शस्मीकरण तथा अन्तररष््रीयतावाद के
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