हमारे जीवन का अर्थ भाग - 1 | Hamare Jeevan Ka Arth Bhag - 1

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Hamare Jeevan Ka Arth Bhag - 1 by एल्फ्रेड एबलर - Elfred Ebalar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन का अर्थं १५ ले इस पर उत्तर दिया--“परन्तु जिस बुधवार की बाबत मैने कहा था वह आपका यह बुधवार नहीं है ।” इस तरह अपने वेयक्तिक अर्थ बताकर उसने अपने-आपको विरोध से सुरक्षित कर लिया | वेयक्तिक अर्थों की कभी परीक्षा नहीं हो सकती | जीवन के सच्चे अर्थों का चिह् यह है कि वे साधारण अथे हैं। वे ऐसे अर्थ हैं. जिनमें दूसरे हिस्सा बाँटठ सकते हैं; ऐसे' अथे जिन्हें दूसरे भी उचित ठहरा सकते हैं। जीवन की सम- स्थाओं का कोई भी अच्छा हल दूसरों का मार्ग भी सहल कर देगा, क्‍योंकि उसमें सावेजनिक समस्याओं से सफलता से' निप- टने का तरीकों हमें मिलेगा । अपूर्व विवेक का अर्थ भी महत्तम उपयोगिता से ही किया जा सकता है। जब किसी मनुष्य के जीवन को दूसरे लोग अपने लिए उपयोगी और महत्त्वपूर्ण सममे तभी उस मनुष्य को परम विवेकी कहा जाता है। ऐसे जीवन मे जीवन का अथे इस तरह माना जाता है- जीवन का अर्थ है, सम्पूणता में अपना अंश अदान करना ।” यहाँ हम मोखिक धा रणाओं की बात नहीं कर रहे हैं | मोखिक धारणाओं से कान हटाकर हम व्यावहारिक नतीजों पर ध्यान दे रहे हैं । उस मनुष्य का, जो मानव-जीवन के प्रश्नों का सफलतापूर्वक सामना करता है, व्यवहार ऐसा होता है जेंसे उसने पूरी तरह ओर स्वयसेव ही यह जान लिया है कि जीवन का अर्थ दूसरों में दिलचरपी ओर सहयोग से है। वह जो कुछ भी करता है, जान पड़ता है कि मानव-जीवन के हित की दृष्टि से




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