सरल-नाटक-माला | Saral-naatak-mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
401
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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~ भरोसे की भस पडा व्यानी ५
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पाच्च-
१ জিনতা
२--भों चक्कानन्द शास्त्री
হাল
रास्ता
८$& ६७. ६9
प्रशेश पहला ।
चित्तदालई--[ स्वगत ) क्या करू ? कहाँ जाऊं ? किसका अपना
दःख सनाऊ ? एक आपत्ति हो तो उससे बच भी सकता हैं।
यहाँ तो एक पर एक ग्यारह हो रही है । इन्हीस तो पिश्ड
छूटा, यह और एक अचानक आ टूटी । इस समय मेरी
दशा ठीक वेसी हो रही है जेसी राम-वनवास के समय भरत-
जी की थी :--
ग्रह-ग्रहीत पुनि बात-वश, तेहि पुनि बीछी-पम्लार ।
ताह ए्रयाइय बारुणा, কই চলল उपकार ॥
हा राम | कया कर ? कुछ भी हो; जो भाग्य में बदा है उसे तो
२०
৮
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