कुञ्ज | Kunj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २)
लगन लगा चातक सा मुझ
दुिया का हे सवसव महान |
अन्तिम भीख यही जीवन की,
दे दो करुणा स्नेह निधान |
( ३ )
मोर सरिख घनश्याम तुम्हे मै,
देख ररह हो चत्य बिभोर।
में रुरा रगा पाऊं, तुम, को-
सर्वत्र सदां सब ओर ॥
( ४ )
यथा केवकी रज में गज, अलि--
प्राय्ल रज्ञ भें रहते लिप्त ।
तथा सुमे भी तुम अपने पद्-
रज़ में हो होने दो तृप्त ॥
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