विवेक विलास | Vivek Vilash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श
यह म्न्य श्राध्यान्मिक-मावो का पक ऐसा
स्रोत है जिसमें डुबकियां लगाकर पाठक का हृदय
स्वस्स में मग्न होकर आ्राननद विभोर हो जाता है।
उमे प्रतिपादित विषय को पढ़ कर प्रत्येक सुझुक्त
को आह्न स्वरूप का ज्ञान हुए बिना नहीं रहेगा,
ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है | कब्रि ने निज-बन, भव-
बन , ठग-ग्राम, मान-गिरि, स्रव-कूप, बहिरात्मा-
स्वल्प श्रादि श्रार इनके विपरीत निज-घाम, आन्म-
सागर, माव्र-समुद्र, जान-गिरि, निज गंगा, रष
छप, जान -वापी, अन्तरास्मा-ज्ञान राज গ্সাি
सुन्दर, एवं श्राकपंक शोषंक देकर उपमा, रूपक
उदाहरण एवं दृप्टंत अलकारों द्वारा गृढ विषय
को सरल श्रौर सुस्पष्ट करने की चेप्टा की है ।
एक ओर उन्होने सप्तव्यसन, क्रोध.मान-म।या-
लोभ, छुल-कपट-दम्भ, भिध्यात्व, श्रज्ञान, अविद्या
कुबरुद्धि, मोह रादि का प्रसार दिखा कर सतारका
भयंकर, श्राट्मा को उत्तमाने वाला, ओर कुत्सित
रूप प्रस्तुत किया दें तो दूसरी ओर बिवेक, अत्म-
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