हिन्दू - विवाह की उत्पत्ति और विकास | Hindu Vivah Ki Utpatti Aur Vikas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
408
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
कमी का कारण १३१; कन्याप्नों का बाल - विवाह १३२; गिलम्ब स
विवाह करने में पाप की उद्धावना १३५; मुसलमानी काल में विवाह
की श्रायु १३६; यूरोप के अन्य देशों में विवाह - वय १३७; दतंमाके
भ्रवस्था १३८ ।
(घ) विवाह के कुछ प्रतिबन्धक १४०
( १ ) सपिष्डता--सपिरड का अथं १४०; सपिरुडता को सीमा १४१;
इस सम्बन्ध मे श्राचार्यो के विभिन मत १४४; सपिरएड मे विवाहन करने
के कारणं १४५; ( २) सगोत्रता--गोत्र शव्द का अथं १४६; प्रधान गोत्र
१४७; सगोत्र मे विवाह व करने का कारणं १४८; ( ३ ) सप्रवरता--
सप्रवर का प्रथं १५०; गोत्र भौर प्रवर मे भेद १५०; सप्रवर में विवाह
न करने का कारण १५१, (४ ) अन्य प्रतिबन्धक--१५१: गोत्र के बाहुर
विवाह के सम्बन्ध में पश्चिमी प्रावा्ों के विभिन्न मत १५२।
(ङ) विवाह में शुल्क-ग्रहण १५५
प्राचीव भारत में तिलक तथा दहेज की प्रथा का प्रभाव १५५ ( ३)
तिलक तथा दहेज को प्रथा की उत्पत्ति १५७, वर्तमान प्रवस्था' १५८, बुराइयाँ
१५८, ( २) कन्या-शुल्क १५६ ।
(च) विवाह सें ज्योतिष का स्थान १६०
(१) विवाह के लिये शुभ मुहूर्त १६०, विवाह का सम1१६३,
( २) विवाह मे जन्मकुण्डली का स्थानं १६४, जन्मकुण्डली म विभिन्नं
विषयों पर विचार १६५, (३) विवाह के प्रबन्धक एवं कन्यादान कै
प्रधिकारो १६६ ।
(५) पाँचदाँ अध्याय-विवाह - संस्कार १७२--२०६
वैवाहिक विधि का क्रमिक विकास १७२, वेदों में वेवाहिक विधि १७४,
सूत्रकाल में विवाह को विधि १७८, वैवाहिक विधि-विधानों को सूची १७६,
पद्धति श्रौर प्रयोग के समय मे वैवाहिक - विधि १८१, विवाह सम्बन्धी कुछ
प्रधान विधियाँ १०५, (१) वाकदान १८५, (२ ) मृदाहरण १८७,
(३) घटो स्थापन १८८, ( ४ ) बधुगृहगमन १८८, (५) मधुपक १८६,
(६ ) समञ्जन १९०, ( ७ ) गोत्रोच्चार १६०, ( ८ ) कन्यादान १६०
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