घाघ और भड्डरी | Ghagh Aur Bhaddari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ )
लोगों का विश्वास है कि उजाले पक्त मँ गर्भाधान हने से सन्तानं
अर्थात् वृष्टि निबेल होती है ।
राशियाँ बारह ओर नक्षत्र सत्ताईस होते हैं । सूय को एक नक्षत्र
से दूसरे नक्षत्र तक पहुँचने में लगभग चोदह दिन लगते हैं ।
यहाँ दो सारिणियाँ दो जाती हैँ । जिनसे राशियों ओर नक्षत्र! के
समय का पता चल जायगा। .ये सारिशियों संवत् १६८७ के
अनुसार हैं--
राशियां इसमे सूयं वहथा कब इस दिन चन्द्रमा किस
आया है ? नक्षत्र में था ?
मेप १३ अग्रल, १६३० चित्रा
वृष १४७ मई 77 अनुराधा-ज्येष्ठा
मिथुन १४ जून + उत्तराषाढ़
कक १६ जुलाई ৮ पूव भाद्र
सिंह १६-१७ अगस्त ” भरणी
कन्या १६-१७ सितम्बर ”? গার
तुला १७ अक्टोबर ” अश्लेषा
वृश्चिक १६ नवम्बर?” उत्तराफाल्गुनो
धनु १५ दिसम्बर चित्रा, स्वातो
मकर १४ जनवरा १६३१ ध्यनुराधा
कुम्भ १२ फरवरी ? मूल नक्षत्र
मोन १४ माच 2 उत्तगाषाढ़
नक्षत्र इसमे सूयं कव शाता है ?
अशिनी तब १३ अप्रेल
भरणी २७ श्रग्रेल
कृत्तिका ११ मई
रोहिणी २४ मई
मृगशिरा
४ जून
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