घाघ और भड्डरी | Ghagh Aur Bhaddari

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Ghagh Aur Bhaddari by रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ ) लोगों का विश्वास है कि उजाले पक्त मँ गर्भाधान हने से सन्तानं अर्थात्‌ वृष्टि निबेल होती है । राशियाँ बारह ओर नक्षत्र सत्ताईस होते हैं । सूय को एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र तक पहुँचने में लगभग चोदह दिन लगते हैं । यहाँ दो सारिणियाँ दो जाती हैँ । जिनसे राशियों ओर नक्षत्र! के समय का पता चल जायगा। .ये सारिशियों संवत्‌ १६८७ के अनुसार हैं-- राशियां इसमे सूयं वहथा कब इस दिन चन्द्रमा किस आया है ? नक्षत्र में था ? मेप १३ अग्रल, १६३० चित्रा वृष १४७ मई 77 अनुराधा-ज्येष्ठा मिथुन १४ जून + उत्तराषाढ़ कक १६ जुलाई ৮ पूव भाद्र सिंह १६-१७ अगस्त ” भरणी कन्या १६-१७ सितम्बर ”? গার तुला १७ अक्टोबर ” अश्लेषा वृश्चिक १६ नवम्बर?” उत्तराफाल्गुनो धनु १५ दिसम्बर चित्रा, स्वातो मकर १४ जनवरा १६३१ ध्यनुराधा कुम्भ १२ फरवरी ? मूल नक्षत्र मोन १४ माच 2 उत्तगाषाढ़ नक्षत्र इसमे सूयं कव शाता है ? अशिनी तब १३ अप्रेल भरणी २७ श्रग्रेल कृत्तिका ११ मई रोहिणी २४ मई मृगशिरा ४ जून




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